Wama kana libasharin an yukallimahu Allahu illa wahyan aw min warai hijabin aw yursila rasoolan fayoohiya biithnihi ma yashao innahu 'aliyyun hakeemun (aš-Šūrā 42:51)
किसी मनुष्य की यह शान नहीं कि अल्लाह उससे बात करे, सिवाय इसके कि प्रकाशना के द्वारा या परदे के पीछे से (बात करे) । या यह कि वह एक रसूल (फ़रिश्ता) भेज दे, फिर वह उसकी अनुज्ञा से जो कुछ वह चाहता है प्रकाशना कर दे। निश्चय ही वह सर्वोच्च अत्यन्त तत्वदर्शी है
English Sahih:
And it is not for any human being that Allah should speak to him except by revelation or from behind a partition or that He sends a messenger [i.e., angel] to reveal, by His permission, what He wills. Indeed, He is Most High and Wise. ([42] Ash-Shuraa : 51)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और किसी आदमी के लिए ये मुमकिन नहीं कि ख़ुदा उससे बात करे मगर वही के ज़रिए से (जैसे) (दाऊद) परदे के पीछे से जैसे (मूसा) या कोई फ़रिश्ता भेज दे (जैसे मोहम्मद) ग़रज़ वह अपने एख्तेयार से जो चाहता है पैग़ाम भेज देता है बेशक वह आलीशान हिकमत वाला है
2 Azizul-Haqq Al-Umary
और नहीं संभव है किसी मनुष्य के लिए कि बात करे अल्लाह उससे, परन्तु वह़्यी[1] द्वारा, अथवा पर्दे के पीछे से अथवा भेज दे कोई रसूल (फ़रिश्ता), जो वह़्यी करे उसकी अनुमति से, जो कुछ वह चाहता हो। वास्तव में, वह सबसे ऊँचा (तथा) सभी गुण जानने वाला है।