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اَفَاَنْتَ تُسْمِعُ الصُّمَّ اَوْ تَهْدِى الْعُمْيَ وَمَنْ كَانَ فِيْ ضَلٰلٍ مُّبِيْنٍ   ( الزخرف: ٤٠ )

Then can you
أَفَأَنتَ
क्या भला आप
cause to hear
تُسْمِعُ
आप सुनाऐंगे
the deaf
ٱلصُّمَّ
बहरों को
or
أَوْ
या
guide
تَهْدِى
आप राह दिखाएँगे
the blind
ٱلْعُمْىَ
अंधों को
and (one) who
وَمَن
और उसे जो
is
كَانَ
हो
in
فِى
गुमराही में
an error
ضَلَٰلٍ
गुमराही में
clear?
مُّبِينٍ
खुली

Afaanta tusmi'u alssumma aw tahdee al'umya waman kana fee dalalin mubeenin (az-Zukhruf 43:40)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

क्या तुम बहरों को सुनाओगे या अंधो को और जो खुली गुमराही में पड़ा हुआ हो उसको राह दिखाओगे?

English Sahih:

Then will you make the deaf hear, [O Muhammad], or guide the blind or he who is in clear error? ([43] Az-Zukhruf : 40)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तो (ऐ रसूल) क्या तुम बहरों को सुना सकते हो या अन्धे को और उस शख़्श को जो सरीही गुमराही में पड़ा हो रास्ता दिखा सकते हो (हरगिज़ नहीं)