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وَاِنَّهٗ لَذِكْرٌ لَّكَ وَلِقَوْمِكَ ۚوَسَوْفَ تُسْٔـَلُوْنَ   ( الزخرف: ٤٤ )

And indeed it
وَإِنَّهُۥ
और बेशक ये
(is) surely a Reminder
لَذِكْرٌ
अलबत्ता एक नसीहत है
for you
لَّكَ
आपके लिए
and your people
وَلِقَوْمِكَۖ
और आपकी क़ौम के लिए
and soon
وَسَوْفَ
और अनक़रीब
you will be questioned
تُسْـَٔلُونَ
तुम पूछे जाओगे

Wainnahu lathikrun laka waliqawmika wasawfa tusaloona (az-Zukhruf 43:44)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

निश्चय ही वह अनुस्मृति है तुम्हारे लिए और तुम्हारी क़ौम के लिए। शीघ्र ही तुम सबसे पूछा जाएगा

English Sahih:

And indeed, it is a remembrance for you and your people, and you [all] are going to be questioned. ([43] Az-Zukhruf : 44)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और ये (क़ुरान) तुम्हारे लिए और तुम्हारी क़ौम के लिए नसीहत है और अनक़रीब ही तुम लोगों से इसकी बाज़पुर्स की जाएगी