هٰذَا هُدًىۚ وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِاٰيٰتِ رَبِّهِمْ لَهُمْ عَذَابٌ مِّنْ رِّجْزٍ اَلِيْمٌ ࣖ ( الجاثية: ١١ )
This
هَٰذَا
ये है
(is) guidance
هُدًىۖ
हिदायत
And those who
وَٱلَّذِينَ
और वो जिन्होंने
disbelieve
كَفَرُوا۟
इन्कार किया
in (the) Verses
بِـَٔايَٰتِ
आयात का
(of) their Lord
رَبِّهِمْ
अपने रब की
for them
لَهُمْ
उनके लिए
(is) a punishment
عَذَابٌ
अज़ाब है
of
مِّن
बदतरीन क़िस्म का
filth
رِّجْزٍ
बदतरीन क़िस्म का
painful
أَلِيمٌ
दर्दनाक
Hatha hudan waallatheena kafaroo biayati rabbihim lahum 'athabun min rijzin aleemin (al-Jāthiyah 45:11)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यह सर्वथा मार्गदर्शन है। और जिन लोगों ने अपने रब की आयतों को इनकार किया, उनके लिए हिला देनेवाली दुखद यातना है
English Sahih:
This [Quran] is guidance. And those who have disbelieved in the verses of their Lord will have a painful punishment of foul nature. ([45] Al-Jathiyah : 11)