اِنَّ اللّٰهَ يُدْخِلُ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ ۗوَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا يَتَمَتَّعُوْنَ وَيَأْكُلُوْنَ كَمَا تَأْكُلُ الْاَنْعَامُ وَالنَّارُ مَثْوًى لَّهُمْ ( محمد: ١٢ )
Inna Allaha yudkhilu allatheena amanoo wa'amiloo alssalihati jannatin tajree min tahtiha alanharu waallatheena kafaroo yatamatta'oona wayakuloona kama takulu alan'amu waalnnaru mathwan lahum (Muḥammad 47:12)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
निश्चय ही अल्लाह उन लोगों को जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए ऐसे बागों में दाख़िल करेगा जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी। रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया, वे कुछ दिनों का सुख भोग रहे है और खा रहे है, जिसे चौपाए खाते है। और आग उनका ठिकाना है
English Sahih:
Indeed, Allah will admit those who have believed and done righteous deeds to gardens beneath which rivers flow, but those who disbelieve enjoy themselves and eat as grazing livestock eat, and the Fire will be a residence for them. ([47] Muhammad : 12)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ख़ुदा उन लोगों को जो ईमान लाए और अच्छे (अच्छे) काम करते रहे ज़रूर बेहिश्त के उन बाग़ों में जा पहुँचाएगा जिनके नीचे नहरें जारी हैं और जो काफ़िर हैं वह (दुनिया में) चैन करते हैं और इस तरह (बेफिक्री से खाते (पीते) हैं जैसे चारपाए खाते पीते हैं और आख़िर) उनका ठिकाना जहन्नुम है