قُلْ لِّلْمُخَلَّفِيْنَ مِنَ الْاَعْرَابِ سَتُدْعَوْنَ اِلٰى قَوْمٍ اُولِيْ بَأْسٍ شَدِيْدٍ تُقَاتِلُوْنَهُمْ اَوْ يُسْلِمُوْنَ ۚ فَاِنْ تُطِيْعُوْا يُؤْتِكُمُ اللّٰهُ اَجْرًا حَسَنًا ۚ وَاِنْ تَتَوَلَّوْا كَمَا تَوَلَّيْتُمْ مِّنْ قَبْلُ يُعَذِّبْكُمْ عَذَابًا اَلِيْمًا ( الفتح: ١٦ )
Qul lilmukhallafeena mina ala'rabi satud'awna ila qawmin olee basin shadeedin tuqatiloonahum aw yuslimoona fain tutee'oo yutikumu Allahu ajran hasanan wain tatawallaw kama tawallaytum min qablu yu'aththibkum 'athaban aleeman (al-Fatḥ 48:16)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
पीछे रह जानेवाले बद्दूओं से कहना, 'शीघ्र ही तुम्हें ऐसे लोगों की ओर बुलाया जाएगा जो बड़े युद्धवीर है कि तुम उनसे लड़ो या वे आज्ञाकारी हो जाएँ। तो यदि तुम आज्ञाकारी हो जाएँ। तो यदि तुम आज्ञापालन करोगे तो अल्लाह तुम्हें अच्छा बदला प्रदान करेगा। किन्तु यदि तुम फिर गए, जैसे पहले फिर गए थे, तो वह तुम्हें दुखद यातना देगा।'
English Sahih:
Say to those who remained behind of the bedouins, "You will be called to [face] a people of great military might; you may fight them, or they will submit. So if you obey, Allah will give you a good reward; but if you turn away as you turned away before, He will punish you with a painful punishment." ([48] Al-Fath : 16)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
कि जो गवॉर पीछे रह गए थे उनसे कह दो कि अनक़रीब ही तुम सख्त जंगजू क़ौम के (साथ लड़ने के लिए) बुलाए जाओगे कि तुम (या तो) उनसे लड़ते ही रहोगे या मुसलमान ही हो जाएँगे पस अगर तुम (ख़ुदा का) हुक्म मानोगे तो ख़ुदा तुमको अच्छा बदला देगा और अगर तुमने जिस तरह पहली दफा सरताबी की थी अब भी सरताबी करोगे तो वह तुमको दर्दनाक अज़ाब की सज़ा देगा