ءَاَشْفَقْتُمْ اَنْ تُقَدِّمُوْا بَيْنَ يَدَيْ نَجْوٰىكُمْ صَدَقٰتٍۗ فَاِذْ لَمْ تَفْعَلُوْا وَتَابَ اللّٰهُ عَلَيْكُمْ فَاَقِيْمُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتُوا الزَّكٰوةَ وَاَطِيْعُوا اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ ۗوَاللّٰهُ خَبِيْرٌ ۢبِمَا تَعْمَلُوْنَ ࣖ ( المجادلة: ١٣ )
Aashfaqtum an tuqaddimoo bayna yaday najwakum sadaqatin faith lam taf'aloo wataba Allahu 'alaykum faaqeemoo alssalata waatoo alzzakata waatee'oo Allaha warasoolahu waAllahu khabeerun bima ta'maloona (al-Mujādilah 58:13)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
क्या तुम इससे डर गए कि अपनी गुप्त वार्ता से पहले सदक़े दो? जो जब तुमने यह न किया और अल्लाह ने तुम्हें क्षमा कर दिया. तो नमाज़ क़ायम करो, ज़कात देते रहो और अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन करो। और तुम जो कुछ भी करते हो अल्लाह उसकी पूरी ख़बर रखता है
English Sahih:
Have you feared to present before your consultation charities? Then when you do not and Allah has forgiven you, then [at least] establish prayer and give Zakah and obey Allah and His Messenger. And Allah is Aware of what you do. ([58] Al-Mujadila : 13)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(मुसलमानों) क्या तुम इस बात से डर गए कि (रसूल के) कान में बात कहने से पहले ख़ैरात कर लो तो जब तुम लोग (इतना सा काम) न कर सके और ख़ुदा ने तुम्हें माफ़ कर दिया तो पाबन्दी से नमाज़ पढ़ो और ज़कात देते रहो और ख़ुदा उसके रसूल की इताअत करो और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे बाख़बर है