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يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِذَا تَنَاجَيْتُمْ فَلَا تَتَنَاجَوْا بِالْاِثْمِ وَالْعُدْوَانِ وَمَعْصِيَتِ الرَّسُوْلِ وَتَنَاجَوْا بِالْبِرِّ وَالتَّقْوٰىۗ وَاتَّقُوا اللّٰهَ الَّذِيْٓ اِلَيْهِ تُحْشَرُوْنَ  ( المجادلة: ٩ )

O you who believe!
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगों जो
O you who believe!
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगों जो
O you who believe!
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए हो
When
إِذَا
जब
you hold secret counsel
تَنَٰجَيْتُمْ
तुम बाहम सरगोशी करो
then (do) not
فَلَا
पस ना
hold secret counsel
تَتَنَٰجَوْا۟
तुम सरगोशी करो
for sin
بِٱلْإِثْمِ
गुनाह की
and aggression
وَٱلْعُدْوَٰنِ
और ज़्यादती की
and disobedience
وَمَعْصِيَتِ
और रसूल की नाफ़रमानी की
(to) the Messenger
ٱلرَّسُولِ
और रसूल की नाफ़रमानी की
but hold secret counsel
وَتَنَٰجَوْا۟
बल्कि सरगोशी करो
for righteousness
بِٱلْبِرِّ
नेकी की
and piety
وَٱلتَّقْوَىٰۖ
और तक़्वा की
And fear
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह से
the One Who
ٱلَّذِىٓ
वो जो
to Him
إِلَيْهِ
तरफ़ उसके
you will be gathered
تُحْشَرُونَ
तुम इकट्ठे किए जाओगे

Ya ayyuha allatheena amanoo itha tanajaytum fala tatanajaw bialithmi waal'udwani wama'siyati alrrasooli watanajaw bialbirri waalttaqwa waittaqoo Allaha allathee ilayhi tuhsharoona (al-Mujādilah 58:9)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

ऐ ईमान लानेवालो! जब तुम आपस में गुप्त॥ वार्ता करो तो गुनाह और ज़्यादती और रसूल की अवज्ञा की गुप्त वार्ता न करो, बल्कि नेकी और परहेज़गारी के विषय में आपस में एकान्त वार्ता करो। और अल्लाह का डर रखो, जिसके पास तुम इकट्ठे होगे

English Sahih:

O you who have believed, when you converse privately, do not converse about sin and aggression and disobedience to the Messenger but converse about righteousness and piety. And fear Allah, to whom you will be gathered. ([58] Al-Mujadila : 9)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ऐ ईमानदारों जब तुम आपस में सरगोशी करो तो गुनाह और ज्यादती और रसूल की नाफरमानी की सरगोशी न करो बल्कि नेकीकारी और परहेज़गारी की सरगोशी करो और ख़ुदा से डरते रहो जिसके सामने (एक दिन) जमा किए जाओगे