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اَوَمَنْ كَانَ مَيْتًا فَاَحْيَيْنٰهُ وَجَعَلْنَا لَهٗ نُوْرًا يَّمْشِيْ بِهٖ فِى النَّاسِ كَمَنْ مَّثَلُهٗ فِى الظُّلُمٰتِ لَيْسَ بِخَارِجٍ مِّنْهَاۗ كَذٰلِكَ زُيِّنَ لِلْكٰفِرِيْنَ مَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ   ( الأنعام: ١٢٢ )

Is (one) who
أَوَمَن
क्या भला जो
was
كَانَ
था
dead
مَيْتًا
मुर्दा
and We gave him life
فَأَحْيَيْنَٰهُ
तो ज़िन्दा किया हमने उसे
and We made
وَجَعَلْنَا
और बनाया हमने
for him
لَهُۥ
उसके लिए
light
نُورًا
एक नूर
he walks
يَمْشِى
वो चलता है
whereby
بِهِۦ
साथ उसके
among
فِى
लोगों में
the people
ٱلنَّاسِ
लोगों में
like (one) who
كَمَن
उसकी तरह हो सकता है जो
[similar to him]
مَّثَلُهُۥ
उसकी तरह हो सकता है जो
(is) in
فِى
अँधेरों में है
the darknesses
ٱلظُّلُمَٰتِ
अँधेरों में है
not
لَيْسَ
नहीं है
he comes out
بِخَارِجٍ
निकलने वाला
of it?
مِّنْهَاۚ
उन से
Thus
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
is made fair-seeming
زُيِّنَ
मुज़य्यन कर दिया गया है
to the disbelievers
لِلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों के लिए
what
مَا
जो
they were
كَانُوا۟
हैं वो
doing
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते

Awa man kana maytan faahyaynahu waja'alna lahu nooran yamshee bihi fee alnnasi kaman mathaluhu fee alththulumati laysa bikharijin minha kathalika zuyyina lilkafireena ma kanoo ya'maloona (al-ʾAnʿām 6:122)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

क्या वह व्यक्ति जो पहले मुर्दा था, फिर उसे हमने जीवित किया और उसके लिए एक प्रकाश उपलब्ध किया जिसको लिए हुए वह लोगों के बीच चलता-फिरता है, उस व्यक्ति को तरह हो सकता है जो अँधेरों में पड़ा हुआ हो, उससे कदापि निकलनेवाला न हो? ऐसे ही इनकार करनेवालों के कर्म उनके लिए सुहाबने बनाए गए है

English Sahih:

And is one who was dead and We gave him life and made for him light by which to walk among the people like one who is in darkness, never to emerge therefrom? Thus it has been made pleasing to the disbelievers that which they were doing. ([6] Al-An'am : 122)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

क्या जो शख़्श (पहले) मुर्दा था फिर हमने उसको ज़िन्दा किया और उसके लिए एक नूर बनाया जिसके ज़रिए वह लोगों में (बेतकल्लुफ़) चलता फिरता है उस शख़्श का सामना हो सकता है जिसकी ये हालत है कि (हर तरफ से) अंधेरे में (फँसा हुआ है) कि वहाँ से किसी तरह निकल नहीं सकता (जिस तरह मोमिनों के वास्ते ईमान आरास्ता किया गया) उसी तरह काफिरों के वास्ते उनके आमाल (बद) आरास्ता कर दिए गए हैं