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اَنْ تَقُوْلُوْٓا اِنَّمَآ اُنْزِلَ الْكِتٰبُ عَلٰى طَاۤىِٕفَتَيْنِ مِنْ قَبْلِنَاۖ وَاِنْ كُنَّا عَنْ دِرَاسَتِهِمْ لَغٰفِلِيْنَۙ   ( الأنعام: ١٥٦ )

Lest
أَن
ताकि
you say
تَقُولُوٓا۟
तुम कहो (ना)
"Only
إِنَّمَآ
बेशक
was revealed
أُنزِلَ
नाज़िल की गई
the Book
ٱلْكِتَٰبُ
किताब
on
عَلَىٰ
ऊपर दो गिरोहों के
the two groups
طَآئِفَتَيْنِ
ऊपर दो गिरोहों के
from
مِن
हम से पहले
before us
قَبْلِنَا
हम से पहले
and indeed
وَإِن
और बेशक
we were
كُنَّا
थे हम
about
عَن
पढ़ने पढ़ाने से उनके
their study
دِرَاسَتِهِمْ
पढ़ने पढ़ाने से उनके
certainly unaware"
لَغَٰفِلِينَ
अलबत्ता ग़ाफिल

An taqooloo innama onzila alkitabu 'ala taifatayni min qablina wain kunna 'an dirasatihim laghafileena (al-ʾAnʿām 6:156)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कि कहीं ऐसा न हो कि तुम कहने लगो, 'किताब तो केवल हमसे पहले के दो गिरोहों पर उतारी गई थी और हमें तो उनके पढ़ने-पढ़ाने की ख़बर तक न थी।'

English Sahih:

[We revealed it] lest you say, "The Scripture was only sent down to two groups before us, but we were of their study unaware," ([6] Al-An'am : 156)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(और ऐ मुशरेकीन ये किताब हमने इसलिए नाज़िल की कि तुम कहीं) यह कह बैठो कि हमसे पहले किताब ख़ुदा तो बस सिर्फ दो ही गिरोहों (यहूद व नसारा) पर नाज़िल हुई थी अगरचे हम तो उनके पढ़ने (पढ़ाने) से बेखबर थे