قَدْ نَعْلَمُ اِنَّهٗ لَيَحْزُنُكَ الَّذِيْ يَقُوْلُوْنَ فَاِنَّهُمْ لَا يُكَذِّبُوْنَكَ وَلٰكِنَّ الظّٰلِمِيْنَ بِاٰيٰتِ اللّٰهِ يَجْحَدُوْنَ ( الأنعام: ٣٣ )
Indeed
قَدْ
तहक़ीक़
We know
نَعْلَمُ
हम जानते हैं
that it
إِنَّهُۥ
कि बेशक वो
grieves you
لَيَحْزُنُكَ
अलबत्ता ग़मगीन करता है आपको
what
ٱلَّذِى
जो
they say
يَقُولُونَۖ
वो कहते हैं
And indeed, they
فَإِنَّهُمْ
पस बेशक वो
(do) not
لَا
नहीं वो झुठलाते आपको
deny you
يُكَذِّبُونَكَ
नहीं वो झुठलाते आपको
but
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
the wrongdoers
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिम
the Verses
بِـَٔايَٰتِ
अल्लाह की आयात का ही
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह की आयात का ही
they reject
يَجْحَدُونَ
वो इन्कार करते हैं
Qad na'lamu innahu layahzunuka allathee yaqooloona fainnahum la yukaththiboonaka walakinna alththalimeena biayati Allahi yajhadoona (al-ʾAnʿām 6:33)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
हमें मालूम है, जो कुछ वे कहते है उससे तुम्हें दुख पहुँचता है। तो वे वास्तव में तुम्हें नहीं झुठलाते, बल्कि उन अत्याचारियो को तो अल्लाह की आयतों से इनकार है
English Sahih:
We know that you, [O Muhammad], are saddened by what they say. And indeed, they do not call you untruthful, but it is the verses of Allah that the wrongdoers reject. ([6] Al-An'am : 33)