وَاِنْ كَانَ كَبُرَ عَلَيْكَ اِعْرَاضُهُمْ فَاِنِ اسْتَطَعْتَ اَنْ تَبْتَغِيَ نَفَقًا فِى الْاَرْضِ اَوْ سُلَّمًا فِى السَّمَاۤءِ فَتَأْتِيَهُمْ بِاٰيَةٍ ۗوَلَوْ شَاۤءَ اللّٰهُ لَجَمَعَهُمْ عَلَى الْهُدٰى فَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الْجٰهِلِيْنَ ( الأنعام: ٣٥ )
Wain kana kabura 'alayka i'raduhum faini istata'ta an tabtaghiya nafaqan fee alardi aw sullaman fee alssamai fatatiyahum biayatin walaw shaa Allahu lajama'ahum 'ala alhuda fala takoonanna mina aljahileena (al-ʾAnʿām 6:35)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और यदि उनकी विमुखता तुम्हारे लिए असहनीय है, तो यदि तुमसे हो सके कि धरती में कोई सुरंग या आकाश में कोई सीढ़ी ढूँढ़ निकालो और उनके पास कोई निशानी ले आओ, तो (ऐसा कर देखो), यदि अल्लाह चाहता तो उन सबको सीधे मार्ग पर इकट्ठा कर देता। अतः तुम उजड्ड और नादान न बनना
English Sahih:
And if their evasion is difficult for you, then if you are able to seek a tunnel into the earth or a stairway into the sky to bring them a sign, [then do so]. But if Allah had willed, He would have united them upon guidance. So never be of the ignorant. ([6] Al-An'am : 35)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
अगरचे उन लोगों की रदगिरदानी (मुँह फेरना) तुम पर शाक़ ज़रुर है (लेकिन) अगर तुम्हारा बस चले तो ज़मीन के अन्दर कोई सुरगं ढँढ निकालो या आसमान में सीढ़ी लगाओ और उन्हें कोई मौजिज़ा ला दिखाओ (तो ये भी कर देखो) अगर ख़ुदा चाहता तो उन सब को राहे रास्त पर इकट्ठा कर देता (मगर वह तो इम्तिहान करता है) बस (देखो) तुम हरगिज़ ज़ालिमों में (शामिल) न होना