وَاَنْذِرْ بِهِ الَّذِيْنَ يَخَافُوْنَ اَنْ يُّحْشَرُوْٓا اِلٰى رَبِّهِمْ لَيْسَ لَهُمْ مِّنْ دُوْنِهٖ وَلِيٌّ وَّلَا شَفِيْعٌ لَّعَلَّهُمْ يَتَّقُوْنَ ( الأنعام: ٥١ )
And warn
وَأَنذِرْ
और डराइए
with it
بِهِ
साथ उसके
those who
ٱلَّذِينَ
उनको जो
fear
يَخَافُونَ
ख़ौफ़ खाते हैं
that
أَن
कि
they will be gathered
يُحْشَرُوٓا۟
वो इकट्ठे किए जाऐंगे
to
إِلَىٰ
तरफ़ अपने रब के
their Lord
رَبِّهِمْۙ
तरफ़ अपने रब के
not
لَيْسَ
नहीं (होगा)
for them
لَهُم
उनके लिए
of
مِّن
उसके सिवा
other than Him
دُونِهِۦ
उसके सिवा
any protector
وَلِىٌّ
कोई दोस्त
and not
وَلَا
और ना
any intercessor
شَفِيعٌ
कोई सिफ़ारिशी
so that they may
لَّعَلَّهُمْ
ताकि वो
(become) righteous
يَتَّقُونَ
वो बच जाऐं
Waanthir bihi allatheena yakhafoona an yuhsharoo ila rabbihim laysa lahum min doonihi waliyyun wala shafee'un la'allahum yattaqoona (al-ʾAnʿām 6:51)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और तुम इसके द्वारा उन लोगों को सचेत कर दो, जिन्हें इस बात का भय है कि वे अपने रब के पास इस हाल में इकट्ठा किए जाएँगे कि उसके सिवा न तो उसका कोई समर्थक होगा और न कोई सिफ़ारिश करनेवाला, ताकि वे बचें
English Sahih:
And warn by it [i.e., the Quran] those who fear that they will be gathered before their Lord – for them besides Him will be no protector and no intercessor – that they might become righteous. ([6] Al-An'am : 51)