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قُلْ هُوَ الْقَادِرُ عَلٰٓى اَنْ يَّبْعَثَ عَلَيْكُمْ عَذَابًا مِّنْ فَوْقِكُمْ اَوْ مِنْ تَحْتِ اَرْجُلِكُمْ اَوْ يَلْبِسَكُمْ شِيَعًا وَّيُذِيْقَ بَعْضَكُمْ بَأْسَ بَعْضٍۗ اُنْظُرْ كَيْفَ نُصَرِّفُ الْاٰيٰتِ لَعَلَّهُمْ يَفْقَهُوْنَ   ( الأنعام: ٦٥ )

Say
قُلْ
कह दीजिए
"He
هُوَ
वो
(is) All Able
ٱلْقَادِرُ
क़ादिर है
[on]
عَلَىٰٓ
इस पर
to
أَن
कि
send
يَبْعَثَ
वो भेजे
upon you
عَلَيْكُمْ
तुम पर
punishment
عَذَابًا
अज़ाब
from
مِّن
तुम्हारे ऊपर से
above you
فَوْقِكُمْ
तुम्हारे ऊपर से
or
أَوْ
या
from
مِن
नीचे से
beneath
تَحْتِ
नीचे से
your feet
أَرْجُلِكُمْ
तुम्हारे पाँव के
or
أَوْ
या
(to) confuse you
يَلْبِسَكُمْ
वो लड़ा दे तुम्हें
(into) sects
شِيَعًا
गिरोहों में
and make (you) taste -
وَيُذِيقَ
और चखा दे
some of you
بَعْضَكُم
तुम्हारे बाज़ को
violence
بَأْسَ
क़ुव्वत
(of) others"
بَعْضٍۗ
बाज़ की
See
ٱنظُرْ
देखो
how
كَيْفَ
किस तरह
We explain
نُصَرِّفُ
हम फेर-फेर कर बयान करते हैं
the Signs
ٱلْءَايَٰتِ
आयात
so that they may
لَعَلَّهُمْ
ताकि वो
understand
يَفْقَهُونَ
वो समझें

Qul huwa alqadiru 'ala an yab'atha 'alaykum 'athaban min fawqikum aw min tahti arjulikum aw yalbisakum shiya'an wayutheeqa ba'dakum basa ba'din onthur kayfa nusarrifu alayati la'allahum yafqahoona (al-ʾAnʿām 6:65)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कहो, 'वह इसकी सामर्थ्य रखता है कि तुमपर तुम्हारे ऊपर से या तुम्हारे पैरों के नीचे से कोई यातना भेज दे या तुम्हें टोलियों में बाँटकर परस्पर भिड़ा दे और एक को दूसरे की लड़ाई का मज़ा चखाए।' देखो, हम आयतों को कैसे, तरह-तरह से, बयान करते है, ताकि वे समझे

English Sahih:

Say, "He is the [one] Able to send upon you affliction from above you or from beneath your feet or to confuse you [so you become] sects and make you taste the violence of one another." Look how We diversify the signs that they might understand. ([6] Al-An'am : 65)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) तुम कह दो कि वही उस पर अच्छी तरह क़ाबू रखता है कि अगर (चाहे तो) तुम पर अज़ाब तुम्हारे (सर के) ऊपर से नाज़िल करे या तुम्हारे पॉव के नीचे से (उठाकर खड़ा कर दे) या एक गिरोह को दूसरे से भिड़ा दे और तुम में से कुछ लोगों को बाज़ आदमियों की लड़ाई का मज़ा चखा दे ज़रा ग़ौर तो करो हम किस किस तरह अपनी आयतों को उलट पुलट के बयान करते हैं ताकि लोग समझे