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يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا هَلْ اَدُلُّكُمْ عَلٰى تِجَارَةٍ تُنْجِيْكُمْ مِّنْ عَذَابٍ اَلِيْمٍ   ( الصف: ١٠ )

O!
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
(you) who!
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
believe!
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
Shall
هَلْ
क्या
I guide you
أَدُلُّكُمْ
मैं रहनुमाई करूँ तुम्हारी
to
عَلَىٰ
एक तिजारत पर
a transaction
تِجَٰرَةٍ
एक तिजारत पर
(that) will save you
تُنجِيكُم
जो निजात दे तुम्हें
from
مِّنْ
दर्दनाक अज़ाब से
a punishment
عَذَابٍ
दर्दनाक अज़ाब से
painful?
أَلِيمٍ
दर्दनाक अज़ाब से

Ya ayyuha allatheena amanoo hal adullukum 'ala tijaratin tunjeekum min 'athabin aleemin (aṣ-Ṣaff 61:10)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

ऐ ईमान लानेवालो! क्या मैं तुम्हें एक ऐसा व्यापार बताऊँ जो तुम्हें दुखद यातना से बचा ले?

English Sahih:

O you who have believed, shall I guide you to a transaction that will save you from a painful punishment? ([61] As-Saf : 10)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ऐ ईमानदारों क्या मैं नहीं ऐसी तिजारत बता दूँ जो तुमको (आख़ेरत के) दर्दनाक अज़ाब से निजात दे