وَاِذْ اَسَرَّ النَّبِيُّ اِلٰى بَعْضِ اَزْوَاجِهٖ حَدِيْثًاۚ فَلَمَّا نَبَّاَتْ بِهٖ وَاَظْهَرَهُ اللّٰهُ عَلَيْهِ عَرَّفَ بَعْضَهٗ وَاَعْرَضَ عَنْۢ بَعْضٍۚ فَلَمَّا نَبَّاَهَا بِهٖ قَالَتْ مَنْ اَنْۢبَاَكَ هٰذَاۗ قَالَ نَبَّاَنِيَ الْعَلِيْمُ الْخَبِيْرُ ( التحريم: ٣ )
Waith asarra alnnabiyyu ila ba'di azwajihi hadeethan falamma nabbaat bihi waathharahu Allahu 'alayhi 'arrafa ba'dahu waa'rada 'an ba'din falamma nabbaaha bihi qalat man anbaaka hatha qala nabbaaniya al'aleemu alkhabeeru (at-Taḥrīm 66:3)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जब नबी ने अपनी पत्ऩियों में से किसी से एक गोपनीय बात कही, फिर जब उसने उसकी ख़बर कर दी और अल्लाह ने उसे उसपर ज़ाहिर कर दिया, तो उसने उसे किसी हद तक बता दिया और किसी हद तक टाल गया। फिर जब उसने उसकी उसे ख़बर की तो वह बोली, 'आपको इसकी ख़बर किसने दी?' उसने कहा, 'मुझे उसने ख़बर दी जो सब कुछ जाननेवाला, ख़बर रखनेवाला है।'
English Sahih:
And [remember] when the Prophet confided to one of his wives a statement; and when she informed [another] of it and Allah showed it to him, he made known part of it and ignored a part. And when he informed her about it, she said, "Who told you this?" He said, "I was informed by the Knowing, the Aware." ([66] At-Tahrim : 3)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और जब पैग़म्बर ने अपनी बाज़ बीवी (हफ़सा) से चुपके से कोई बात कही फिर जब उसने (बावजूद मुमानियत) उस बात की (आयशा को) ख़बर दे दी और ख़ुदा ने इस अम्र को रसूल पर ज़ाहिर कर दिया तो रसूल ने (आयशा को) बाज़ बात (किस्सा मारिया) जता दी और बाज़ बात (किस्साए यहद) टाल दी ग़रज़ जब रसूल ने इस वाक़िये (हफ़सा के अफ़शाए राज़) कि उस (आयशा) को ख़बर दी तो हैरत से बोल उठीं आपको इस बात (अफ़शाए राज़) की किसने ख़बर दी रसूल ने कहा मुझे बड़े वाक़िफ़कार ख़बरदार (ख़ुदा) ने बता दिया