اِنَّ نَاشِئَةَ الَّيْلِ هِيَ اَشَدُّ وَطْـًٔا وَّاَقْوَمُ قِيْلًاۗ ( المزمل: ٦ )
Indeed
إِنَّ
बेशक
(the) rising
نَاشِئَةَ
उठना
(at) the night
ٱلَّيْلِ
रात का
it
هِىَ
वो
(is) very hard
أَشَدُّ
ज़्यादा सख़्त है
and most potent
وَطْـًٔا
रौंदने में (नफ़्स को)
and more suitable
وَأَقْوَمُ
और ज़्यादा दुरुस्त है
(for) Word
قِيلًا
बात करने में
Inna nashiata allayli hiya ashaddu watan waaqwamu qeelan (al-Muzzammil 73:6)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
निस्संदेह रात का उठना अत्यन्त अनुकूलता रखता है और बात भी उसमें अत्यन्त सधी हुई होती है
English Sahih:
Indeed, the hours of the night are more effective for concurrence [of heart and tongue] and more suitable for words. ([73] Al-Muzzammil : 6)