يَسْـَٔلُوْنَكَ عَنِ الْاَنْفَالِۗ قُلِ الْاَنْفَالُ لِلّٰهِ وَالرَّسُوْلِۚ فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَصْلِحُوْا ذَاتَ بَيْنِكُمْ ۖوَاَطِيْعُوا اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗٓ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِيْنَ ( الأنفال: ١ )
Yasaloonaka 'ani alanfali quli alanfalu lillahi waalrrasooli faittaqoo Allaha waaslihoo thata baynikum waatee'oo Allaha warasoolahu in kuntum mumineena (al-ʾAnfāl 8:1)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
वे तुमसे ग़नीमतों के विषय में पूछते है। कहो, 'ग़नीमतें अल्लाह और रसूल की है। अतः अल्लाह का डर रखों और आपस के सम्बन्धों को ठीक रखो। और, अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन करो, यदि तुम ईमानवाले हो
English Sahih:
They ask you, [O Muhammad], about the bounties [of war]. Say, "The [decision concerning] bounties is for Allah and the Messenger." So fear Allah and amend that which is between you and obey Allah and His Messenger, if you should be believers. ([8] Al-Anfal : 1)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ रसूल) तुम से लोग अनफाल (माले ग़नीमत) के बारे में पूछा करते हैं तुम कह दो कि अनफाल मख़सूस ख़ुदा और रसूल के वास्ते है तो ख़ुदा से डरो (और) अपने बाहमी (आपसी) मामलात की इसलाह करो और अगर तुम सच्चे (ईमानदार) हो तो ख़ुदा की और उसके रसूल की इताअत करो