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وَلَوْ عَلِمَ اللّٰهُ فِيْهِمْ خَيْرًا لَّاَسْمَعَهُمْۗ وَلَوْ اَسْمَعَهُمْ لَتَوَلَّوْا وَّهُمْ مُّعْرِضُوْنَ  ( الأنفال: ٢٣ )

And if
وَلَوْ
और अगर
(had) known
عَلِمَ
जान लेता
Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
in them
فِيهِمْ
उनमें
any good
خَيْرًا
कोई भलाई
surely, He (would) have made them hear
لَّأَسْمَعَهُمْۖ
अलबत्ता वो सुनवा देता उन्हें
And if
وَلَوْ
और अगर
He had made them hear
أَسْمَعَهُمْ
वो सुनवा देता उन्हें
surely they would have turned away
لَتَوَلَّوا۟
यक़ीनन वो मुँह फेर जाते
while they
وَّهُم
और वो हैं ही
(were) averse
مُّعْرِضُونَ
ऐराज़ करने वाले

Walaw 'alima Allahu feehim khayran laasma'ahum walaw asma'ahum latawallaw wahum mu'ridoona (al-ʾAnfāl 8:23)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

यदि अल्लाह जानता कि उनमें कुछ भी भलाई है, तो वह उन्हें अवश्य सुनने का सौभाग्य प्रदान करता। और यदि वह उन्हें सुना देता तो भी वे कतराते हुए मुँह फेर लेते

English Sahih:

Had Allah known any good in them, He would have made them hear. And if He had made them hear, they would [still] have turned away, while they were refusing. ([8] Al-Anfal : 23)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और अगर ख़ुदा उनमें नेकी (की बू भी) देखता तो ज़रूर उनमें सुनने की क़ाबलियत अता करता मगर ये ऐसे हैं कि अगर उनमें सुनने की क़ाबिलयत भी देता तो मुँह फेर कर भागते।