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كَمَآ اَخْرَجَكَ رَبُّكَ مِنْۢ بَيْتِكَ بِالْحَقِّۖ وَاِنَّ فَرِيْقًا مِّنَ الْمُؤْمِنِيْنَ لَكٰرِهُوْنَ  ( الأنفال: ٥ )

As
كَمَآ
जैसा कि
brought you out
أَخْرَجَكَ
निकाला आपको
your Lord
رَبُّكَ
आपके रब ने
from
مِنۢ
आपके घर से
your home
بَيْتِكَ
आपके घर से
in truth
بِٱلْحَقِّ
साथ हक़ के
while indeed
وَإِنَّ
और बेशक
a party
فَرِيقًا
गिरोह
among
مِّنَ
मोमिनों में से
the believers
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों में से
certainly disliked
لَكَٰرِهُونَ
अलबत्ता नापसंद करने वाला था

Kama akhrajaka rabbuka min baytika bialhaqqi wainna fareeqan mina almumineena lakarihoona (al-ʾAnfāl 8:5)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

(यह बिल्कुल वैसी ही परिस्थित है) जैसे तुम्हारे ने तुम्हें तुम्हारे घर से एक उद्देश्य के साथ निकाला, किन्तु ईमानवालों में से एक गिरोह को यह अप्रिय लगा था

English Sahih:

[It is] just as when your Lord brought you out of your home [for the battle of Badr] in truth, while indeed, a party among the believers were unwilling, ([8] Al-Anfal : 5)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

जिस तरह तुम्हारे परवरदिगार ने तुम्हें बिल्कुल ठीक (मसलहत से) तुम्हारे घर से (जंग बदर) में निकाला था और मोमिनीन का एक गिरोह (उससे) नाखुश था