۞ وَاِنْ جَنَحُوْا لِلسَّلْمِ فَاجْنَحْ لَهَا وَتَوَكَّلْ عَلَى اللّٰهِ ۗاِنَّهٗ هُوَ السَّمِيْعُ الْعَلِيْمُ ( الأنفال: ٦١ )
And if
وَإِن
और अगर
they incline
جَنَحُوا۟
वो माइल हों
to peace
لِلسَّلْمِ
सुलह के लिए
then you (also) incline
فَٱجْنَحْ
तो आप भी माइल हो जाइए
to it
لَهَا
उसके लिए
and put (your) trust
وَتَوَكَّلْ
और तवक्कल कीजिए
in
عَلَى
अल्लाह पर
Allah
ٱللَّهِۚ
अल्लाह पर
Indeed
إِنَّهُۥ
बेशक वो
He
هُوَ
वो ही है
(is) All-Hearer
ٱلسَّمِيعُ
ख़ूब सुनने वाला
All-Knower
ٱلْعَلِيمُ
ख़ूब जानने वाला
Wain janahoo lilssalmi faijnah laha watawakkal 'ala Allahi innahu huwa alssamee'u al'aleemu (al-ʾAnfāl 8:61)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और यदि वे संधि और सलामती की ओर झुकें तो तुम भी इसके लिए झुक जाओ और अल्लाह पर भरोसा रखो। निस्संदेह, वह सब कुछ सुनता, जानता है
English Sahih:
And if they incline to peace, then incline to it [also] and rely upon Allah. Indeed, it is He who is the Hearing, the Knowing. ([8] Al-Anfal : 61)