وَالسّٰبِقُوْنَ الْاَوَّلُوْنَ مِنَ الْمُهٰجِرِيْنَ وَالْاَنْصَارِ وَالَّذِيْنَ اتَّبَعُوْهُمْ بِاِحْسَانٍۙ رَّضِيَ اللّٰهُ عَنْهُمْ وَرَضُوْا عَنْهُ وَاَعَدَّ لَهُمْ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ تَحْتَهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِيْنَ فِيْهَآ اَبَدًا ۗذٰلِكَ الْفَوْزُ الْعَظِيْمُ ( التوبة: ١٠٠ )
Waalssabiqoona alawwaloona mina almuhajireena waalansari waallatheena ittaba'oohum biihsanin radiya Allahu 'anhum waradoo 'anhu waa'adda lahum jannatin tajree tahtaha alanharu khalideena feeha abadan thalika alfawzu al'atheemu (at-Tawbah 9:100)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
सबसे पहले आगे बढ़नेवाले मुहाजिर और अनसार और जिन्होंने भली प्रकार उनका अनुसरण किया, अल्लाह उनसे राज़ी हुआ और वे उससे राज़ी हुए। और उसने उनके लिए ऐसे बाग़ तैयार कर रखे है, जिनके नीचे नहरें बह रही है, वे उनमें सदैव रहेंगे। यही बड़ी सफलता है
English Sahih:
And the first forerunners [in the faith] among the Muhajireen and the Ansar and those who followed them with good conduct – Allah is pleased with them and they are pleased with Him, and He has prepared for them gardens beneath which rivers flow, wherein they will abide forever. That is the great attainment. ([9] At-Tawbah : 100)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और मुहाजिरीन व अन्सार में से (ईमान की तरफ) सबक़त (पहल) करने वाले और वह लोग जिन्होंने नेक नीयती से (कुबूले ईमान में उनका साथ दिया ख़ुदा उनसे राज़ी और वह ख़ुदा से ख़ुश और उनके वास्ते ख़ुदा ने (वह हरे भरे) बाग़ जिन के नीचे नहरें जारी हैं तैयार कर रखे हैं वह हमेशा अब्दआलाबाद (हमेशा) तक उनमें रहेगें यही तो बड़ी कामयाबी हैं