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وَمِمَّنْ حَوْلَكُمْ مِّنَ الْاَعْرَابِ مُنٰفِقُوْنَ ۗوَمِنْ اَهْلِ الْمَدِيْنَةِ مَرَدُوْا عَلَى النِّفَاقِۗ لَا تَعْلَمُهُمْۗ نَحْنُ نَعْلَمُهُمْۗ سَنُعَذِّبُهُمْ مَّرَّتَيْنِ ثُمَّ يُرَدُّوْنَ اِلٰى عَذَابٍ عَظِيْمٍ ۚ   ( التوبة: ١٠١ )

And among those
وَمِمَّنْ
और उनमें से जो
around you
حَوْلَكُم
तुम्हारे आस पास हैं
of
مِّنَ
देहातियों/बदवियों में से
the bedouins
ٱلْأَعْرَابِ
देहातियों/बदवियों में से
(are) hypocrites
مُنَٰفِقُونَۖ
कुछ मुनाफ़िक़ हैं
and (also) from
وَمِنْ
और कुछ रहने वालों में से
people
أَهْلِ
और कुछ रहने वालों में से
(of) the Madinah
ٱلْمَدِينَةِۖ
मदीना के
They persist
مَرَدُوا۟
जो अड़ गए हैं
in
عَلَى
मुनाफ़िक़त पर
the hypocrisy
ٱلنِّفَاقِ
मुनाफ़िक़त पर
not
لَا
नहीं तुम जानते उन्हें
you know them
تَعْلَمُهُمْۖ
नहीं तुम जानते उन्हें
We
نَحْنُ
हम
[We] know them
نَعْلَمُهُمْۚ
जानते हैं उन्हें
We will punish them
سَنُعَذِّبُهُم
अनक़रीब हम अज़ाब देंगे उन्हें
twice
مَّرَّتَيْنِ
दो बार
then
ثُمَّ
फिर
they will be returned
يُرَدُّونَ
वो लौटाए जाऐंगे
to
إِلَىٰ
तरफ़ अज़ाब
a punishment
عَذَابٍ
तरफ़ अज़ाब
great
عَظِيمٍ
बहुत बड़े के

Wamimman hawlakum mina ala'rabi munafiqoona wamin ahli almadeenati maradoo 'ala alnnifaqi la ta'lamuhum nahnu na'lamuhum sanu'aththibuhum marratayni thumma yuraddoona ila 'athabin 'atheemin (at-Tawbah 9:101)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और तुम्हारे आस-पास के बद्दुनओं में और मदीनावालों में कुछ ऐसे कपटाचारी है जो कपट-नीति पर जमें हुए है। उनको तुम नहीं जानते, हम उन्हें भली-भाँति जानते है। शीघ्र ही हम उन्हें दो बार यातना देंगे। फिर वे एक बड़ी यातना की ओर लौटाए जाएँगे

English Sahih:

And among those around you of the bedouins are hypocrites, and [also] from the people of Madinah. They have persisted in hypocrisy. You, [O Muhammad], do not know them, [but] We know them. We will punish them twice [in this world]; then they will be returned to a great punishment. ([9] At-Tawbah : 101)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और (मुसलमानों) तुम्हारे एतराफ़ (आस पास) के गॅवार देहातियों में से बाज़ मुनाफिक़ (भी) हैं और ख़ुद मदीने के रहने वालों मे से भी (बाज़ मुनाफिक़ हैं) जो निफ़ाक पर अड़ गए हैं (ऐ रसूल) तुम उन को नहीं जानते (मगर) हम उनको (ख़ूब) जानते हैं अनक़रीब हम (दुनिया में) उनकी दोहरी सज़ा करेगें फिर ये लोग (क़यामत में) एक बड़े अज़ाब की तरफ लौटाए जाऎंगे