لَا تَقُمْ فِيْهِ اَبَدًاۗ لَمَسْجِدٌ اُسِّسَ عَلَى التَّقْوٰى مِنْ اَوَّلِ يَوْمٍ اَحَقُّ اَنْ تَقُوْمَ فِيْهِۗ فِيْهِ رِجَالٌ يُّحِبُّوْنَ اَنْ يَّتَطَهَّرُوْاۗ وَاللّٰهُ يُحِبُّ الْمُطَّهِّرِيْنَ ( التوبة: ١٠٨ )
La taqum feehi abadan lamasjidun ossisa 'ala alttaqwa min awwali yawmin ahaqqu an taqooma feehi feehi rijalun yuhibboona an yatatahharoo waAllahu yuhibbu almuttahhireena (at-Tawbah 9:108)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
तुम कभी भी उसमें खड़े न होना। वह मस्जिद जिसकी आधारशिला पहले दिन ही से ईशपरायणता पर रखी गई है, वह इसकी ज़्यादा हक़दार है कि तुम उसमें खड़े हो। उसमें ऐसे लोग पाए जाते हैं, जो अच्छी तरह स्वच्छ रहना पसन्द करते है, और अल्लाह भी पाक-साफ़ रहनेवालों को पसन्द करता है
English Sahih:
Do not stand [for prayer] within it – ever. A mosque founded on righteousness from the first day is more worthy for you to stand in. Within it are men who love to purify themselves; and Allah loves those who purify themselves. ([9] At-Tawbah : 108)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ये लोग यक़ीनन झूठे है (ऐ रसूल) तुम इस (मस्जिद) में कभी खड़े भी न होना वह मस्जिद जिसकी बुनियाद अव्वल रोज़ से परहेज़गारी पर रखी गई है वह ज़रूर उसकी ज्यादा हक़दार है कि तुम उसमें खडे होकर (नमाज़ पढ़ो क्योंकि) उसमें वह लोग हैं जो पाक व पाकीज़ा रहने को पसन्द करते हैं और ख़ुदा भी पाक व पाकीज़ा रहने वालों को दोस्त रखता है