जब भी कोई सूरा अवतरित की गई, तो उनमें से कुछ लोग कहते है, 'इसने तुममें से किसके ईमान को बढ़ाया?' हाँ, जो लोग ईमान लाए है इसने उनके ईमान को बढ़ाया है। और वे आनन्द मना रहे है
English Sahih:
And whenever a Surah is revealed, there are among them [i.e., the hypocrites] those who say, "Which of you has this increased in faith?" As for those who believed, it has increased them in faith, while they are rejoicing. ([9] At-Tawbah : 124)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और जब कोई सूरा नाज़िल किया गया तो उन मुनाफिक़ीन में से (एक दूसरे से) पूछता है कि भला इस सूरे ने तुममें से किसी का ईमान बढ़ा दिया तो जो लोग ईमान ला चुके हैं उनका तो इस सूरे ने ईमान बढ़ा दिया और वह वहां उसकी ख़ुशियाँ मनाते है
2 Azizul-Haqq Al-Umary
और जब (क़ुर्आन की) कोई आयत उतारी जाती है, तो इन (द्विधावादियों में) से कुछ कहते हैं कि तुममें से किसका ईमान (विश्वास) इसने अधिक किया[1]? तो वास्तव में, जो ईमान रखते हैं, उनका विश्वास अवश्य अधिक कर दिया और वे इसपर प्रसन्न हो रहे हैं।