وَاِذَا مَآ اُنْزِلَتْ سُوْرَةٌ نَّظَرَ بَعْضُهُمْ اِلٰى بَعْضٍۗ هَلْ يَرٰىكُمْ مِّنْ اَحَدٍ ثُمَّ انْصَرَفُوْاۗ صَرَفَ اللّٰهُ قُلُوْبَهُمْ بِاَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا يَفْقَهُوْنَ ( التوبة: ١٢٧ )
Waitha ma onzilat sooratun nathara ba'duhum ila ba'din hal yarakum min ahadin thumma insarafoo sarafa Allahu quloobahum biannahum qawmun la yafqahoona (at-Tawbah 9:127)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और जब कोई सूरा अवतरित होती है, तो वे परस्पर एक-दूसरे को देखने लगते है कि 'तुम्हें कोई देख तो नहीं रहा है।' फिर पलट जाते है। अल्लाह ने उनके दिल फेर दिए, क्योंकि वे ऐसे लोग है जो समझते नहीं है
English Sahih:
And whenever a Surah is revealed, they look at each other, [as if saying], "Does anyone see you?" and then they dismiss themselves. Allah has dismissed their hearts because they are a people who do not understand. ([9] At-Tawbah : 127)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और जब कोई सूरा नाज़िल किया गया तो उसमें से एक की तरफ एक देखने लगा (और ये कहकर कि) तुम को कोई मुसलमान देखता तो नहीं है फिर (अपने घर) पलट जाते हैं (ये लोग क्या पलटेगें गोया) ख़ुदा ने उनके दिलों को पलट दिया है इस सबब से कि ये बिल्कुल नासमझ लोग हैं