اِنَّمَا يَسْتَأْذِنُكَ الَّذِيْنَ لَا يُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ وَارْتَابَتْ قُلُوْبُهُمْ فَهُمْ فِيْ رَيْبِهِمْ يَتَرَدَّدُوْنَ ( التوبة: ٤٥ )
Only
إِنَّمَا
बेशक
ask your leave
يَسْتَـْٔذِنُكَ
इजाज़त माँगते हैं आपसे
those who
ٱلَّذِينَ
वो जो
(do) not
لَا
नही वो ईमान रखते
believe
يُؤْمِنُونَ
नही वो ईमान रखते
in Allah
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
and the Day
وَٱلْيَوْمِ
और आख़िरी दिन पर
the Last
ٱلْءَاخِرِ
और आख़िरी दिन पर
and (are in) doubts
وَٱرْتَابَتْ
और शक करते हैं
their hearts
قُلُوبُهُمْ
दिल उनके
so they
فَهُمْ
पस वो
in
فِى
अपने शक में
their doubts
رَيْبِهِمْ
अपने शक में
they waver
يَتَرَدَّدُونَ
वो मुतरदिद/हैरान हैं
Innama yastathinuka allatheena la yuminoona biAllahi waalyawmi alakhiri wairtabat quloobuhum fahum fee raybihim yataraddadoona (at-Tawbah 9:45)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
तुमसे छुट्टी तो बस वही लोग माँगते है जो अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान नहीं रखते, और जिनके दिल सन्देह में पड़े है, तो वे अपने सन्देह ही में डाँवाडोल हो रहे है
English Sahih:
Only those would ask permission of you who do not believe in Allah and the Last Day and whose hearts have doubted, and they, in their doubt, are hesitating. ([9] At-Tawbah : 45)