لَوْ خَرَجُوْا فِيْكُمْ مَّا زَادُوْكُمْ اِلَّا خَبَالًا وَّلَاَوْضَعُوْا خِلٰلَكُمْ يَبْغُوْنَكُمُ الْفِتْنَةَۚ وَفِيْكُمْ سَمّٰعُوْنَ لَهُمْۗ وَاللّٰهُ عَلِيْمٌۢ بِالظّٰلِمِيْنَ ( التوبة: ٤٧ )
Law kharajoo feekum ma zadookum illa khabalan walaawda'oo khilalakum yabghoonakumu alfitnata wafeekum samma'oona lahum waAllahu 'aleemun bialththalimeena (at-Tawbah 9:47)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यदि वे तुम्हारे साथ निकलते भी तो तुम्हारे अन्दर ख़राबी के सिवा किसी और चीज़ की अभिवृद्धि नहीं करते। और वे तुम्हारे बीच उपद्रव मचाने के लिए दौड़-धूप करते और तुममें उनकी सुननेवाले है। और अल्लाह अत्याचारियों को भली-भाँति जानता है
English Sahih:
Had they gone forth with you, they would not have increased you except in confusion, and they would have been active among you, seeking [to cause] you fitnah [i.e., chaos and dissension]. And among you are avid listeners to them. And Allah is Knowing of the wrongdoers. ([9] At-Tawbah : 47)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
अगर ये लोग तुममें (मिलकर) निकलते भी तो बस तुममे फ़साद ही बरपा कर देते और तुम्हारे हक़ में फ़ितना कराने की ग़रज़ से तुम्हारे दरमियान (इधर उधर) घोड़े दौड़ाते फिरते और तुममें से उनके जासूस भी हैं (जो तुम्हारी उनसे बातें बयान करते हैं) और ख़ुदा शरीरों से ख़ूब वाक़िफ़ है