يَحْلِفُوْنَ بِاللّٰهِ مَا قَالُوْا ۗوَلَقَدْ قَالُوْا كَلِمَةَ الْكُفْرِ وَكَفَرُوْا بَعْدَ اِسْلَامِهِمْ وَهَمُّوْا بِمَا لَمْ يَنَالُوْاۚ وَمَا نَقَمُوْٓا اِلَّآ اَنْ اَغْنٰىهُمُ اللّٰهُ وَرَسُوْلُهٗ مِنْ فَضْلِهٖ ۚفَاِنْ يَّتُوْبُوْا يَكُ خَيْرًا لَّهُمْ ۚوَاِنْ يَّتَوَلَّوْا يُعَذِّبْهُمُ اللّٰهُ عَذَابًا اَلِيْمًا فِى الدُّنْيَا وَالْاٰخِرَةِ ۚوَمَا لَهُمْ فِى الْاَرْضِ مِنْ وَّلِيٍّ وَّلَا نَصِيْرٍ ( التوبة: ٧٤ )
Yahlifoona biAllahi ma qaloo walaqad qaloo kalimata alkufri wakafaroo ba'da islamihim wahammoo bima lam yanaloo wama naqamoo illa an aghnahumu Allahu warasooluhu min fadlihi fain yatooboo yaku khayran lahum wain yatawallaw yu'aththibhumu Allahu 'athaban aleeman fee alddunya waalakhirati wama lahum fee alardi min waliyyin wala naseerin (at-Tawbah 9:74)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
वे अल्लाह की क़समें खाते है कि उन्होंने नहीं कहा, हालाँकि उन्होंने अवश्य ही कुफ़्र की बात कही है और अपने इस्लाम स्वीकार करने के पश्चात इनकार किया, और वह चाहा जो वे न पा सके। उनके प्रतिशोध का कारण तो यह है कि अल्लाह और उसके रसूल ने अपने अनुग्रह से उन्हें समृद्ध कर दिया। अब यदि वे तौबा कर लें तो उन्हीं के लिए अच्छा है और यदि उन्होंने मुँह मोड़ा तो अल्लाह उन्हें दुनिया और आख़िरत में दुखद यातना देगा और धरती में उनका न कोई मित्र होगा और न सहायक
English Sahih:
They swear by Allah that they did not say [anything against the Prophet (^)] while they had said the word of disbelief and disbelieved after their [pretense of] IsLam and planned that which they were not to attain. And they were not resentful except [for the fact] that Allah and His Messenger had enriched them of His bounty. So if they repent, it is better for them; but if they turn away, Allah will punish them with a painful punishment in this world and the Hereafter. And there will not be for them on earth any protector or helper. ([9] At-Tawbah : 74)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ये मुनाफेक़ीन ख़ुदा की क़समें खाते है कि (कोई बुरी बात) नहीं कही हालॉकि उन लोगों ने कुफ़्र का कलमा ज़रूर कहा और अपने इस्लाम के बाद काफिर हो गए और जिस बात पर क़ाबू न पा सके उसे ठान बैठे और उन लोगें ने (मुसलमानों से) सिर्फ इस वजह से अदावत की कि अपने फज़ल व करम से ख़ुदा और उसके रसूल ने दौलत मन्द बना दिया है तो उनके लिए उसमें ख़ैर है कि ये लोग अब भी तौबा कर लें और अगर ये न मानेगें तो ख़ुदा उन पर दुनिया और आख़िरत में दर्दनाक अज़ाब नाज़िल फरमाएगा और तमाम दुनिया में उन का न कोई हामी होगा और न मददगार