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اَلَّذِيْنَ يَلْمِزُوْنَ الْمُطَّوِّعِيْنَ مِنَ الْمُؤْمِنِيْنَ فِى الصَّدَقٰتِ وَالَّذِيْنَ لَا يَجِدُوْنَ اِلَّا جُهْدَهُمْ فَيَسْخَرُوْنَ مِنْهُمْ ۗسَخِرَ اللّٰهُ مِنْهُمْ ۖ وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ   ( التوبة: ٧٩ )

Those who
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
criticize
يَلْمِزُونَ
वो ताना देते हैं
the ones who give willingly
ٱلْمُطَّوِّعِينَ
ख़ुशी से देने वालों को
of
مِنَ
मोमिनों में से
the believers
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों में से
concerning
فِى
सदक़ात में
the charities
ٱلصَّدَقَٰتِ
सदक़ात में
and those who
وَٱلَّذِينَ
और उनको (भी) जो
not
لَا
नहीं वो पाते
find
يَجِدُونَ
नहीं वो पाते
except
إِلَّا
सिवाय
their effort
جُهْدَهُمْ
अपनी मेहनत के
so they ridicule
فَيَسْخَرُونَ
तो वो मज़ाक़ उड़ाते हैं
them
مِنْهُمْۙ
उनका
Allah will ridicule
سَخِرَ
मज़ाक़ उड़ाता है
Allah will ridicule
ٱللَّهُ
अल्लाह
them
مِنْهُمْ
उनका
and for them
وَلَهُمْ
और उनके लिए
(is) a punishment
عَذَابٌ
अज़ाब है
painful
أَلِيمٌ
दर्दनाक

Allatheena yalmizoona almuttawwi'eena mina almumineena fee alssadaqati waallatheena la yajidoona illa juhdahum fayaskharoona minhum sakhira Allahu minhum walahum 'athabun aleemun (at-Tawbah 9:79)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जो लोग स्वेच्छापूर्वक देनेवाले मोमिनों पर उनके सदक़ो (दान) के विषय में चोटें करते है और उन लोगों का उपहास करते है, जिनके पास इसके सिवा कुछ नहीं जो वे मशक़्क़त उठाकर देते है, उन (उपहास करनेवालों) का उपहास अल्लाह ने किया और उनके लिए दुखद यातना है

English Sahih:

Those who criticize the contributors among the believers concerning [their] charities and [criticize] the ones who find nothing [to spend] except their effort, so they ridicule them – Allah will ridicule them, and they will have a painful punishment. ([9] At-Tawbah : 79)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

जो लोग दिल खोलकर ख़ैरात करने वाले मोमिनीन पर (रियाकारी का) और उन मोमिनीन पर जो सिर्फ अपनी शफ़क़क़्त (मेहनत) की मज़दूरी पाते (शेख़ी का) इल्ज़ाम लगाते हैं फिर उनसे मसख़रापन करते तो ख़ुदा भी उन से मसख़रापन करेगा और उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है