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وَلَا تُعْجِبْكَ اَمْوَالُهُمْ وَاَوْلَادُهُمْۗ اِنَّمَا يُرِيْدُ اللّٰهُ اَنْ يُّعَذِّبَهُمْ بِهَا فِى الدُّنْيَا وَتَزْهَقَ اَنْفُسُهُمْ وَهُمْ كٰفِرُوْنَ   ( التوبة: ٨٥ )

And (let) not
وَلَا
और ना
impress you
تُعْجِبْكَ
ताज्जुब में डालें आपको
their wealth
أَمْوَٰلُهُمْ
माल उनके
and their children
وَأَوْلَٰدُهُمْۚ
और औलाद उनकी
Only
إِنَّمَا
बेशक
Allah intends
يُرِيدُ
चाहता है
Allah intends
ٱللَّهُ
अल्लाह
to
أَن
कि
punish them
يُعَذِّبَهُم
वो अज़ाब दे उन्हें
with it
بِهَا
साथ उनके
in
فِى
दुनिया में
the world
ٱلدُّنْيَا
दुनिया में
and will depart
وَتَزْهَقَ
और निकलें
their souls
أَنفُسُهُمْ
जानें उनकी
while they
وَهُمْ
इस हाल में कि वो
(are) disbelievers
كَٰفِرُونَ
काफ़िर हों

Wala tu'jibka amwaluhum waawladuhum innama yureedu Allahu an yu'aththibahum biha fee alddunya watazhaqa anfusuhum wahum kafiroona (at-Tawbah 9:85)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और उनके माल और उनकी औलाद तुम्हें मोहित न करें। अल्लाह तो बस यह चाहता है कि उनके द्वारा उन्हें संसार में यातना दे और उनके प्राण इस दशा में निकलें कि वे काफ़िर हों

English Sahih:

And let not their wealth and their children impress you. Allah only intends to punish them through them in this world and that their souls should depart [at death] while they are disbelievers. ([9] At-Tawbah : 85)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और उनके माल और उनकी औलाद (की कसरत) तुम्हें ताज्जुब (हैरत) में न डाले (क्योकि) ख़ुदा तो बस ये चाहता है कि दुनिया में भी उनके माल और औलाद की बदौलत उनको अज़ाब में मुब्तिला करे और उनकी जान निकालने लगे तो उस वक्त भी ये काफ़िर (के काफ़िर ही) रहें