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قُلِ انْظُرُوْا مَاذَا فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ۗوَمَا تُغْنِى الْاٰيٰتُ وَالنُّذُرُ عَنْ قَوْمٍ لَّا يُؤْمِنُوْنَ   ( يونس: ١٠١ )

Say
قُلِ
कह दीजिए
"See
ٱنظُرُوا۟
देखो
what
مَاذَا
क्या कुछ है
(is) in
فِى
आसमानों में
the heavens
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में
and the earth"
وَٱلْأَرْضِۚ
और ज़मीन में
But not
وَمَا
और नहीं
will avail
تُغْنِى
फ़ायदा देतीं
the Signs
ٱلْءَايَٰتُ
आयात
and the warners
وَٱلنُّذُرُ
और डरावे
to
عَن
उन लोगों को जो
a people
قَوْمٍ
उन लोगों को जो
(who do) not
لَّا
नहीं वो ईमान लाते
believe
يُؤْمِنُونَ
नहीं वो ईमान लाते

Quli onthuroo matha fee alssamawati waalardi wama tughnee alayatu waalnnuthuru 'an qawmin la yuminoona (al-Yūnus 10:101)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कहो, 'देख लो, आकाशों और धरती में क्या कुछ है!' किन्तु निशानियाँ और चेतावनियाँ उन लोगों के कुछ काम नहीं आती, जो ईमान न लाना चाहें

English Sahih:

Say, "Observe what is in the heavens and the earth." But of no avail will be signs or warners to a people who do not believe. ([10] Yunus : 101)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) तुम कहा दो कि ज़रा देखों तो सही कि आसमानों और ज़मीन में (ख़ुदा की निशानियाँ क्या) क्या कुछ हैं (मगर सच तो ये है) और जो लोग ईमान नहीं क़ुबूल करते उनको हमारी निशानियाँ और डरावे कुछ भी मुफीद नहीं