وَلَا تَرْكَنُوْٓا اِلَى الَّذِيْنَ ظَلَمُوْا فَتَمَسَّكُمُ النَّارُۙ وَمَا لَكُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ مِنْ اَوْلِيَاۤءَ ثُمَّ لَا تُنْصَرُوْنَ ( هود: ١١٣ )
And (do) not
وَلَا
और ना
incline
تَرْكَنُوٓا۟
तुम झुको/माइल हो
to
إِلَى
तरफ़ उनके जिन्होंने
those who
ٱلَّذِينَ
तरफ़ उनके जिन्होंने
do wrong
ظَلَمُوا۟
ज़ुल्म किया
lest touches you
فَتَمَسَّكُمُ
वरना छू लेगी तुम्हें
the Fire
ٱلنَّارُ
आग
and not
وَمَا
और नहीं (होगा)
(is) for you
لَكُم
तुम्हारे लिए
besides Allah
مِّن
सिवाय
besides Allah
دُونِ
सिवाय
besides Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह के
any
مِنْ
कोई दोस्त
protectors
أَوْلِيَآءَ
कोई दोस्त
then
ثُمَّ
फिर
not
لَا
ना तुम मदद दिए जाओगे
you will be helped
تُنصَرُونَ
ना तुम मदद दिए जाओगे
Wala tarkanoo ila allatheena thalamoo fatamassakumu alnnaru wama lakum min dooni Allahi min awliyaa thumma la tunsaroona (Hūd 11:113)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उन लोगों की ओर तनिक भी न झुकना, जिन्होंने अत्याचार की नीति अपनाई हैं, अन्यथा आग तुम्हें आ लिपटेगी - और अल्लाह से हटकर तुम्हारा कोई संरक्षक मित्र नहीं - फिर तुम्हें कोई सहायता भी न मिलेगी
English Sahih:
And do not incline toward those who do wrong, lest you be touched by the Fire, and you would not have other than Allah any protectors; then you would not be helped. ([11] Hud : 113)