وَيٰقَوْمِ هٰذِهٖ نَاقَةُ اللّٰهِ لَكُمْ اٰيَةً فَذَرُوْهَا تَأْكُلْ فِيْٓ اَرْضِ اللّٰهِ وَلَا تَمَسُّوْهَا بِسُوْۤءٍ فَيَأْخُذَكُمْ عَذَابٌ قَرِيْبٌ ( هود: ٦٤ )
And O my people!
وَيَٰقَوْمِ
और ऐ मेरी क़ौम
This
هَٰذِهِۦ
ये
she-camel
نَاقَةُ
ऊँटनी है
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह की
(is) for you
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
a Sign
ءَايَةً
एक निशानी
so leave her
فَذَرُوهَا
पस छोड़ दो उसे
to eat
تَأْكُلْ
वो खाती फिरे
in
فِىٓ
ज़मीन में
the earth
أَرْضِ
ज़मीन में
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह की
and (do) not
وَلَا
और ना
touch her
تَمَسُّوهَا
तुम छुओ उसे
with harm
بِسُوٓءٍ
साथ बुराई के
lest will seize you
فَيَأْخُذَكُمْ
पस पकड़ लेगा तुम्हें
a punishment
عَذَابٌ
अज़ाब
impending"
قَرِيبٌ
क़रीबी
Waya qawmi hathihi naqatu Allahi lakum ayatan fatharooha takul fee ardi Allahi wala tamassooha bisooin fayakhuthakum 'athabun qareebun (Hūd 11:64)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
ऐ मेरी क़ौम के लोगो! यह अल्लाह की ऊँटनी तुम्हारे लिए एक निशानी है। इसे छोड़ दो कि अल्लाह की धरती में खाए और इसे तकलीफ़ देने के लिए हाथ न लगाना अन्यथा समीपस्थ यातना तुम्हें आ लेगी।'
English Sahih:
And O my people, this is the she-camel of Allah – [she is] to you a sign. So let her feed upon Allah's earth and do not touch her with harm, or you will be taken by an impending punishment." ([11] Hud : 64)