قَالَتْ فَذٰلِكُنَّ الَّذِيْ لُمْتُنَّنِيْ فِيْهِ ۗوَلَقَدْ رَاوَدْتُّهٗ عَنْ نَّفْسِهٖ فَاسْتَعْصَمَ ۗوَلَىِٕنْ لَّمْ يَفْعَلْ مَآ اٰمُرُهٗ لَيُسْجَنَنَّ وَلَيَكُوْنًا مِّنَ الصّٰغِرِيْنَ ( يوسف: ٣٢ )
Qalat fathalikunna allathee lumtunnanee feehi walaqad rawadtuhu 'an nafsihi faist'sama walain lam yaf'al ma amuruhu layusjananna walayakoonan mina alssaghireena (Yūsuf 12:32)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
वह बोली, 'यह वही है जिसके विषय में तुम मुझे मलामत कर रही थीं। हाँ, मैंने इसे रिझाना चाहा था, किन्तु यह बचा रहा। और यदि इसने न किया जो मैं इससे कहती तो यह अवश्य क़ैद किया जाएगा और अपमानित होगा।'
English Sahih:
She said, "That is the one about whom you blamed me. And I certainly sought to seduce him, but he firmly refused; and if he will not do what I order him, he will surely be imprisoned and will be of those debased." ([12] Yusuf : 32)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(तब ज़ुलेख़ा उन औरतों से) बोली कि बस ये वही तो है जिसकी बदौलत तुम सब मुझे मलामत (बुरा भला) करती थीं और हाँ बेशक मैं उससे अपना मतलब हासिल करने की खुद उससे आरज़ू मन्द थी मगर ये बचा रहा और जिस काम का मैं हुक्म देती हूँ अगर ये न करेगा तो ज़रुर क़ैद भी किया जाएगा और ज़लील भी होगा (ये सब बातें यूसुफ ने मेरी बारगाह में) अर्ज़ की