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قَالَ رَبِّ السِّجْنُ اَحَبُّ اِلَيَّ مِمَّا يَدْعُوْنَنِيْٓ اِلَيْهِ ۚوَاِلَّا تَصْرِفْ عَنِّيْ كَيْدَهُنَّ اَصْبُ اِلَيْهِنَّ وَاَكُنْ مِّنَ الْجٰهِلِيْنَ   ( يوسف: ٣٣ )

He said
قَالَ
उसने कहा
"My Lord
رَبِّ
ऐ मेरे रब
the prison
ٱلسِّجْنُ
क़ैद ख़ाना
(is) dearer
أَحَبُّ
ज़्यादा महबूब है
to me
إِلَىَّ
मुझे
than what
مِمَّا
उससे जो
they invite me
يَدْعُونَنِىٓ
वो बुलाती हैं मुझे
to it
إِلَيْهِۖ
तरफ़ जिसके
And unless
وَإِلَّا
और अगर नहीं
You turn away
تَصْرِفْ
तू फेरेगा
from me
عَنِّى
मुझसे
their plot
كَيْدَهُنَّ
चाल उनकी
I might incline
أَصْبُ
मैं माइल हो जाऊँगा
towards them
إِلَيْهِنَّ
तरफ़ उनके
and [I] be
وَأَكُن
और मैं हो जाऊँगा
of
مِّنَ
जाहिलों में से
the ignorant"
ٱلْجَٰهِلِينَ
जाहिलों में से

Qala rabbi alssijnu ahabbu ilayya mimma yad'oonanee ilayhi wailla tasrif 'annee kaydahunna asbu ilayhinna waakun mina aljahileena (Yūsuf 12:33)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

उसने कहा, 'ऐ मेरे रब! जिसकी ओर ये सब मुझे बुला रही हैं, उससे अधिक तो मुझे क़ैद ही पसन्द है यदि तूने उनके दाँव-घात को मुझसे न टाला तो मैं उनकी और झुक जाऊँगा और निरे आवेग के वशीभूत हो जाऊँगा।'

English Sahih:

He said, "My Lord, prison is more to my liking than that to which they invite me. And if You do not avert from me their plan, I might incline toward them and [thus] be of the ignorant." ([12] Yusuf : 33)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ऐ मेरे पालने वाले जिस बात की ये औरते मुझ से ख्वाहिश रखती हैं उसकी निस्वत (बदले में) मुझे क़ैद ख़ानों ज्यादा पसन्द है और अगर तू इन औरतों के फ़रेब मुझसे दफा न फरमाएगा तो (शायद) मै उनकी तरफ माएल (झुक) हो जाँऊ ले तो जाओ और जाहिलों से शुमार किया जाऊँ