فَلَمَّا دَخَلُوْا عَلَيْهِ قَالُوْا يٰٓاَيُّهَا الْعَزِيْزُ مَسَّنَا وَاَهْلَنَا الضُّرُّ وَجِئْنَا بِبِضَاعَةٍ مُّزْجٰىةٍ فَاَوْفِ لَنَا الْكَيْلَ وَتَصَدَّقْ عَلَيْنَاۗ اِنَّ اللّٰهَ يَجْزِى الْمُتَصَدِّقِيْنَ ( يوسف: ٨٨ )
Falamma dakhaloo 'alayhi qaloo ya ayyuha al'azeezu massana waahlana alddurru wajina bibida'atin muzjatin faawfi lana alkayla watasaddaq 'alayna inna Allaha yajzee almutasaddiqeena (Yūsuf 12:88)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर जब वे उसके पास उपस्थित हुए तो कहा, 'ऐ अज़ीज़! हमें और हमारे घरवालों को बहुत तकलीफ़ पहुँची हैं और हम कुछ तुच्छ-सी पूँजी लेकर आए है, किन्तु आप हमें पूरी-पूरी माप प्रदान करें। और हमें दान दें। निश्चय ही दान करनेवालों को बदला अल्लाह देता है।'
English Sahih:
So when they entered upon him [i.e., Joseph], they said, "O Azeez, adversity has touched us and our family, and we have come with goods poor in quality, but give us full measure and be charitable to us. Indeed, Allah rewards the charitable." ([12] Yusuf : 88)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
फिर जब ये लोग यूसुफ के पास गए तो (बहुत गिड़गिड़ाकर) अर्ज़ की कि ऐ अज़ीज़ हमको और हमारे (सारे) कुनबे को कहत की वजह से बड़ी तकलीफ हो रही है और हम कुछ थोड़ी सी पूंजी लेकर आए हैं तो हम को (उसके ऐवज़ पर पूरा ग़ल्ला दिलवा दीजिए और (क़ीमत ही पर नहीं) हम को (अपना) सदक़ा खैरात दीजिए इसमें तो शक़ नहीं कि ख़ुदा सदक़ा ख़ैरात देने वालों को जजाए ख़ैर देता है