الۤمّۤرٰۗ تِلْكَ اٰيٰتُ الْكِتٰبِۗ وَالَّذِيْٓ اُنْزِلَ اِلَيْكَ مِنْ رَّبِّكَ الْحَقُّ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا يُؤْمِنُوْنَ ( الرعد: ١ )
Alif Laam Mim Ra
الٓمٓرۚ
अलिफ़ लाम मीम रा
These
تِلْكَ
ये
(are) the Verses
ءَايَٰتُ
आयात हैं
(of) the Book
ٱلْكِتَٰبِۗ
किताब की
And that which
وَٱلَّذِىٓ
और जो कुछ
has been revealed
أُنزِلَ
नाज़िल किया गया
to you
إِلَيْكَ
तरफ़ आपके
from
مِن
आपके रब की तरफ़ से
your Lord
رَّبِّكَ
आपके रब की तरफ़ से
(is) the truth
ٱلْحَقُّ
हक़ है
but
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
most
أَكْثَرَ
अक्सर
(of) the mankind
ٱلنَّاسِ
लोग
(do) not
لَا
नहीं वो ईमान लाते
believe
يُؤْمِنُونَ
नहीं वो ईमान लाते
Aliflammeemra tilka ayatu alkitabi waallathee onzila ilayka min rabbika alhaqqu walakinna akthara alnnasi la yuminoona (ar-Raʿd 13:1)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अलिफ़॰ लाम॰ मीम॰ रा॰। ये किताब की आयतें है औऱ जो कुछ तुम्हारे रब की ओर से तुम्हारी ओर अवतरित हुआ है, वह सत्य है, किन्तु अधिकतर लोग मान नहीं रहे है
English Sahih:
Alif, Lam, Meem, Ra. These are the verses of the Book; and what has been revealed to you from your Lord is the truth, but most of the people do not believe. ([13] Ar-Ra'd : 1)