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اَللّٰهُ الَّذِيْ رَفَعَ السَّمٰوٰتِ بِغَيْرِ عَمَدٍ تَرَوْنَهَا ثُمَّ اسْتَوٰى عَلَى الْعَرْشِ وَسَخَّرَ الشَّمْسَ وَالْقَمَرَۗ كُلٌّ يَّجْرِيْ لِاَجَلٍ مُّسَمًّىۗ يُدَبِّرُ الْاَمْرَ يُفَصِّلُ الْاٰيٰتِ لَعَلَّكُمْ بِلِقَاۤءِ رَبِّكُمْ تُوْقِنُوْنَ   ( الرعد: ٢ )

Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
(is) the One Who
ٱلَّذِى
वो ही है जिसने
raised
رَفَعَ
बुलन्द किया
the heavens
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों को
without
بِغَيْرِ
बग़ैर
pillars
عَمَدٍ
सुतूनों के
that you see
تَرَوْنَهَاۖ
तुम देखते हो जिन्हें
then
ثُمَّ
फिर
He established
ٱسْتَوَىٰ
वो बुलन्द हुआ
on
عَلَى
अर्श पर
the Throne
ٱلْعَرْشِۖ
अर्श पर
and subjected
وَسَخَّرَ
और उसने मुसख़्ख़र किया
the sun
ٱلشَّمْسَ
सूरज
and the moon
وَٱلْقَمَرَۖ
और चाँद को
each
كُلٌّ
सब
running
يَجْرِى
चल रहे हैं
for a term
لِأَجَلٍ
एक वक़्त तक
appointed
مُّسَمًّىۚ
मुक़र्रर
He arranges
يُدَبِّرُ
वो तदबीर करता है
the matter;
ٱلْأَمْرَ
काम की
He details
يُفَصِّلُ
वो खोल कर बयान करता है
the Signs
ٱلْءَايَٰتِ
आयात को
so that you may
لَعَلَّكُم
ताकि तुम
in the meeting
بِلِقَآءِ
मुलाक़ात का
(with) your Lord
رَبِّكُمْ
अपने रब की
believe with certainty
تُوقِنُونَ
तुम यक़ीन करो

Allahu allathee rafa'a alssamawati bighayri 'amadin tarawnaha thumma istawa 'ala al'arshi wasakhkhara alshshamsa waalqamara kullun yajree liajalin musamman yudabbiru alamra yufassilu alayati la'allakum biliqai rabbikum tooqinoona (ar-Raʿd 13:2)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

अल्लाह वह है जिसने आकाशों को बिना सहारे के ऊँचा बनाया जैसा कि तुम उन्हें देखते हो। फिर वह सिंहासन पर आसीन हुआ। उसने सूर्य और चन्द्रमा को काम पर लगाया। हरेक एक नियत समय तक के लिए चला जा रहा है। वह सारे काम का विधान कर रहा है; वह निशानियाँ खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि तुम्हें अपने रब से मिलने का विश्वास हो

English Sahih:

It is Allah who erected the heavens without pillars that you [can] see; then He established Himself above the Throne and made subject the sun and the moon, each running [its course] for a specified term. He arranges [each] matter; He details the signs that you may, of the meeting with your Lord, be certain. ([13] Ar-Ra'd : 2)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ख़ुदा वही तो है जिसने आसमानों को जिन्हें तुम देखते हो बग़ैर सुतून (खम्बों) के उठाकर खड़ा कर दिया फिर अर्श (के बनाने) पर आमादा हुआ और सूरज और चाँद को (अपना) ताबेदार बनाया कि हर एक वक्त मुक़र्ररा तक चला करते है वही (दुनिया के) हर एक काम का इन्तेज़ाम करता है और इसी ग़रज़ से कि तुम लोग अपने परवरदिगार के सामने हाज़िर होने का यक़ीन करो