وَالَّذِيْنَ يَصِلُوْنَ مَآ اَمَرَ اللّٰهُ بِهٖٓ اَنْ يُّوْصَلَ وَيَخْشَوْنَ رَبَّهُمْ وَيَخَافُوْنَ سُوْۤءَ الْحِسَابِ ۗ ( الرعد: ٢١ )
And those who
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
join
يَصِلُونَ
जोड़ते हैं
what
مَآ
उसको जो
(has been) commanded
أَمَرَ
हुक्म दिया
(by) Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
[for it]
بِهِۦٓ
जिस का
to
أَن
कि
be joined
يُوصَلَ
वो जोड़ा जाए
and fear
وَيَخْشَوْنَ
और वो डरते हैं
their Lord
رَبَّهُمْ
अपने रब से
and are afraid
وَيَخَافُونَ
और वो डरते हैं
(of) the evil
سُوٓءَ
बुरे
the account
ٱلْحِسَابِ
हिसाब से
Waallatheena yasiloona ma amara Allahu bihi an yoosala wayakhshawna rabbahum wayakhafoona sooa alhisabi (ar-Raʿd 13:21)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और जो ऐसे हैं कि अल्लाह नॆ जिसे जोड़ने का आदेश दिया है उसे जोड़ते हैं और अपनॆ रब से डरते रहते हैं और बुरॆ हिसाब का उन्हॆं डर लगा रहता है
English Sahih:
And those who join that which Allah has ordered to be joined and fear their Lord and are afraid of the evil of [their] account, ([13] Ar-Ra'd : 21)