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اَللّٰهُ يَبْسُطُ الرِّزْقَ لِمَنْ يَّشَاۤءُ وَيَقْدِرُ ۗوَفَرِحُوْا بِالْحَيٰوةِ الدُّنْيَاۗ وَمَا الْحَيٰوةُ الدُّنْيَا فِى الْاٰخِرَةِ اِلَّا مَتَاعٌ ࣖ   ( الرعد: ٢٦ )

Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
extends
يَبْسُطُ
फैलाता है
the provision
ٱلرِّزْقَ
रिज़्क़ को
for whom
لِمَن
जिसके लिए
He wills
يَشَآءُ
वो चाहता है
and restricts
وَيَقْدِرُۚ
और वो तंग कर देता है
And they rejoice
وَفَرِحُوا۟
और वो ख़ुश हो गए
in the life
بِٱلْحَيَوٰةِ
ज़िन्दगी पर
(of) the world
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
and nothing
وَمَا
और नहीं
(is) the life
ٱلْحَيَوٰةُ
ज़िन्दगी
of the world
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
in (comparison to)
فِى
आख़िरत (के मुक़ाबले) में
the Hereafter
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत (के मुक़ाबले) में
except
إِلَّا
मगर
an enjoyment
مَتَٰعٌ
एक मताअ (हक़ीर)

Allahu yabsutu alrrizqa liman yashao wayaqdiru wafarihoo bialhayati alddunya wama alhayatu alddunya fee alakhirati illa mata'un (ar-Raʿd 13:26)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

अल्लाह जिसको चाहता है प्रचुर फैली हुई रोज़ी प्रदान करता है औऱ इसी प्रकार नपी-तुली भी। और वे सांसारिक जीवन में मग्न हैं, हालाँकि सांसारिक जीवन आख़िरत के मुक़ाबले में तो बस अल्प सुख-सामग्री है

English Sahih:

Allah extends provision for whom He wills and restricts [it]. And they rejoice in the worldly life, while the worldly life is not, compared to the Hereafter, except [brief] enjoyment. ([13] Ar-Ra'd : 26)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और ख़ुदा ही जिसके लिए चाहता है रोज़ी को बढ़ा देता है और जिसके लिए चाहता है तंग करता है और ये लोग दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी पर बहुत निहाल हैं हालॉकि दुनियावी ज़िन्दगी (नईम) आख़िरत के मुक़ाबिल में बिल्कुल बेहकीक़त चीज़ है