كَذٰلِكَ اَرْسَلْنٰكَ فِيْٓ اُمَّةٍ قَدْ خَلَتْ مِنْ قَبْلِهَآ اُمَمٌ لِّتَتْلُوَا۟ عَلَيْهِمُ الَّذِيْٓ اَوْحَيْنَآ اِلَيْكَ وَهُمْ يَكْفُرُوْنَ بِالرَّحْمٰنِۗ قُلْ هُوَ رَبِّيْ لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَۚ عَلَيْهِ تَوَكَّلْتُ وَاِلَيْهِ مَتَابِ ( الرعد: ٣٠ )
Kathalika arsalnaka fee ommatin qad khalat min qabliha omamun litatluwa 'alayhimu allathee awhayna ilayka wahum yakfuroona bialrrahmani qul huwa rabbee la ilaha illa huwa 'alayhi tawakkaltu wailayhi matabi (ar-Raʿd 13:30)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अतएव हमने तुम्हें एक ऐसे समुदाय में भेजा है जिससे पहले कितने ही समुदाय गुज़र चुके है, ताकि हमने तुम्हारी ओर जो प्रकाशना की है, उसे उनको सुना दो, यद्यपि वे रहमान के साथ इनकार की नीति अपनाए हुए है। कह दो, 'वही मेरा रब है। उसके सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं। उसी पर मेरा भरोसा है और उसी की ओर मुझे पलटकर जाना है।'
English Sahih:
Thus have We sent you to a community before which [other] communities have passed on so you might recite to them that which We revealed to you, while they disbelieve in the Most Merciful. Say, "He is my Lord; there is no deity except Him. Upon Him I rely, and to Him is my return." ([13] Ar-Ra'd : 30)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ रसूल जिस तरह हमने और पैग़म्बर भेजे थे) उसी तरह हमने तुमको उस उम्मत में भेजा है जिससे पहले और भी बहुत सी उम्मते गुज़र चुकी हैं -ताकि तुम उनके सामने जो क़ुरान हमने वही के ज़रिए से तुम्हारे पास भेजा है उन्हें पढ़ कर सुना दो और ये लोग (कुछ तुम्हारे ही नहीं बल्कि सिरे से) ख़ुदा ही के मुन्किर हैं तुम कह दो कि वही मेरा परवरदिगार है उसके सिवा कोई माबूद नहीं मै उसी पर भरोसा रखता हूँ और उसी तरफ रुज़ू करता हूँ