وَفِى الْاَرْضِ قِطَعٌ مُّتَجٰوِرٰتٌ وَّجَنّٰتٌ مِّنْ اَعْنَابٍ وَّزَرْعٌ وَّنَخِيْلٌ صِنْوَانٌ وَّغَيْرُ صِنْوَانٍ يُّسْقٰى بِمَاۤءٍ وَّاحِدٍۙ وَّنُفَضِّلُ بَعْضَهَا عَلٰى بَعْضٍ فِى الْاُكُلِۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يَّعْقِلُوْنَ ( الرعد: ٤ )
Wafee alardi qita'un mutajawiratun wajannatun min a'nabin wazar'un wanakheelun sinwanun waghayru sinwanin yusqa bimain wahidin wanufaddilu ba'daha 'ala ba'din fee alokuli inna fee thalika laayatin liqawmin ya'qiloona (ar-Raʿd 13:4)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और धरती में पास-पास भूभाग पाए जाते है जो परस्पर मिले हुए है, और अंगूरों के बाग़ है और खेतियाँ है औऱ खजूर के पेड़ है, इकहरे भी और दोहरे भी। सबको एक ही पानी से सिंचित करता है, फिर भी हम पैदावार और स्वाद में किसी को किसी के मुक़ाबले में बढ़ा देते है। निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ हैं, जो बुद्धि से काम लेते है
English Sahih:
And within the land are neighboring plots and gardens of grapevines and crops and palm trees, [growing] several from a root or otherwise, watered with one water; but We make some of them exceed others in [quality of] fruit. Indeed in that are signs for a people who reason. ([13] Ar-Ra'd : 4)