مَثَلُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِرَبِّهِمْ اَعْمَالُهُمْ كَرَمَادِ ِۨاشْتَدَّتْ بِهِ الرِّيْحُ فِيْ يَوْمٍ عَاصِفٍۗ لَا يَقْدِرُوْنَ مِمَّا كَسَبُوْا عَلٰى شَيْءٍ ۗذٰلِكَ هُوَ الضَّلٰلُ الْبَعِيْدُ ( ابراهيم: ١٨ )
Mathalu allatheena kafaroo birabbihim a'maluhum karamadin ishtaddat bihi alrreehu fee yawmin 'asifin la yaqdiroona mimma kasaboo 'ala shayin thalika huwa alddalalu alba'eedu (ʾIbrāhīm 14:18)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जिन लोगों ने अपने रब का इनकार किया उनकी मिसाल यह है कि उनके कर्म जैसे राख हों जिसपर आँधी के दिन प्रचंड हवा का झोंका चले। कुछ भी उन्हें अपनी कमाई में से हाथ न आ सकेगा। यही परले दर्जे की तबाही और गुमराही है
English Sahih:
The example of those who disbelieve in their Lord is [that] their deeds are like ashes which the wind blows forcefully on a stormy day; they are unable [to keep] from what they earned a [single] thing. That is what is extreme error. ([14] Ibrahim : 18)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
जो लोग अपने परवरदिगार से काफिर हो बैठे हैं उनकी मसल ऐसी है कि उनकी कारस्तानियाँ गोया (राख का एक ढेर) है जिसे (अन्धड़ के रोज़ हवा का बड़े ज़ोरों का झोंका उड़ा लेगा जो कुछ उन लोगों ने (दुनिया में) किया कराया उसमें से कुछ भी उनके क़ाबू में न होगा यही तो पल्ले दर्जे की गुमराही है