وَاَنْذِرِ النَّاسَ يَوْمَ يَأْتِيْهِمُ الْعَذَابُۙ فَيَقُوْلُ الَّذِيْنَ ظَلَمُوْا رَبَّنَآ اَخِّرْنَآ اِلٰٓى اَجَلٍ قَرِيْبٍۙ نُّجِبْ دَعْوَتَكَ وَنَتَّبِعِ الرُّسُلَۗ اَوَلَمْ تَكُوْنُوْٓا اَقْسَمْتُمْ مِّنْ قَبْلُ مَا لَكُمْ مِّنْ زَوَالٍۙ ( ابراهيم: ٤٤ )
Waanthiri alnnasa yawma yateehimu al'athabu fayaqoolu allatheena thalamoo rabbana akhkhirna ila ajalin qareebin nujib da'wataka wanattabi'i alrrusula awalam takoonoo aqsamtum min qablu ma lakum min zawalin (ʾIbrāhīm 14:44)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
लोगों को उस दिन से डराओ, जब यातना उन्हें आ लेगी। उस समय अत्याचारी लोग कहेंगे, 'हमारे रब! हमें थोड़ी-सी मुहलत दे दे। हम तेरे आमंत्रण को स्वीकार करेंगे और रसूलों का अनुसरण करेंगे।' कहा जाएगा, 'क्या तुम इससे पहले क़समें नहीं खाया करते थे कि हमारा तो पतन ही न होगा?'
English Sahih:
And, [O Muhammad], warn the people of a Day when the punishment will come to them and those who did wrong will say, "Our Lord, delay us for a short term; we will answer Your call and follow the messengers." [But it will be said], "Had you not sworn, before, that for you there would be no cessation? ([14] Ibrahim : 44)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (ऐ रसूल) लोगों को उस दिन से डराओ (जिस दिन) उन पर अज़ाब नाज़िल होगा तो जिन लोगों ने नाफरमानी की थी (गिड़गिड़ा कर) अर्ज़ करेगें कि ऐ हमारे पालने वाले हम को थोड़ी सी मोहलत और दे दे (अबकी बार) हम तेरे बुलाने पर ज़रुर उठ खड़े होगें और सब रसूलों की पैरवी करेगें (तो उनको जवाब मिलेगा) क्या तुम वह लोग नहीं हो जो उसके पहले (उस पर) क़समें खाया करते थे कि तुम को किसी तरह का ज़व्वाल (नुक्सान) नहीं