وَاللّٰهُ جَعَلَ لَكُمْ مِّنْۢ بُيُوْتِكُمْ سَكَنًا وَّجَعَلَ لَكُمْ مِّنْ جُلُوْدِ الْاَنْعَامِ بُيُوْتًا تَسْتَخِفُّوْنَهَا يَوْمَ ظَعْنِكُمْ وَيَوْمَ اِقَامَتِكُمْ ۙ وَمِنْ اَصْوَافِهَا وَاَوْبَارِهَا وَاَشْعَارِهَآ اَثَاثًا وَّمَتَاعًا اِلٰى حِيْنٍ ( النحل: ٨٠ )
WaAllahu ja'ala lakum min buyootikum sakanan waja'ala lakum min juloodi alan'ami buyootan tastakhiffoonaha yawma tha'nikum wayawma iqamatikum wamin aswafiha waawbariha waash'ariha athathan wamata'an ila heenin (an-Naḥl 16:80)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और अल्लाह ने तुम्हारे घरों को तुम्हारे लिए टिकने की जगह बनाया है और जानवरों की खालों से भी तुम्हारे लिए घर बनाए - जिन्हें तुम अपनी यात्रा के दिन और अपने ठहरने के दिन हल्का-फुलका पाते हो - और एक अवधि के लिए उनके ऊन, उनके लोमचर्म और उनके बालों से कितने ही सामान और बरतने की चीज़े बनाई
English Sahih:
And Allah has made for you from your homes a place of rest and made for you from the hides of the animals tents which you find light on your day of travel and your day of encampment; and from their wool, fur and hair is furnishing and enjoyment [i.e., provision] for a time. ([16] An-Nahl : 80)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और ख़ुदा ही ने तुम्हारे घरों को तुम्हारा ठिकाना क़रार दिया और उसी ने तुम्हारे वास्ते चौपायों की खालों से तुम्हारे लिए (हलके फुलके) डेरे (ख़ेमे) बना जिन्हें तुम हलका पाकर अपने सफर और हजर (ठहरने) में काम लाते हो और इन चारपायों की ऊन और रुई और बालो से एक वक्त ख़ास (क़यामत तक) के लिए तुम्हारे बहुत से असबाब और अबकार आमद (काम की) चीज़े बनाई