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وَجَعَلْنَا الَّيْلَ وَالنَّهَارَ اٰيَتَيْنِ فَمَحَوْنَآ اٰيَةَ الَّيْلِ وَجَعَلْنَآ اٰيَةَ النَّهَارِ مُبْصِرَةً لِّتَبْتَغُوْا فَضْلًا مِّنْ رَّبِّكُمْ وَلِتَعْلَمُوْا عَدَدَ السِّنِيْنَ وَالْحِسَابَۗ وَكُلَّ شَيْءٍ فَصَّلْنٰهُ تَفْصِيْلًا  ( الإسراء: ١٢ )

And We have made
وَجَعَلْنَا
और बनाया हमने
the night
ٱلَّيْلَ
रात
and the day
وَٱلنَّهَارَ
और दिन को
(as) two signs
ءَايَتَيْنِۖ
दो निशानियाँ
Then We erased
فَمَحَوْنَآ
तो मिटा दी हमने
(the) sign
ءَايَةَ
निशानी
(of) the night
ٱلَّيْلِ
रात की
and We made
وَجَعَلْنَآ
और बनाई हमने
(the) sign
ءَايَةَ
निशानी
(of) the day
ٱلنَّهَارِ
दिन की
visible
مُبْصِرَةً
रौशन
that you may seek
لِّتَبْتَغُوا۟
ताकि तुम तलाश करो
bounty
فَضْلًا
फ़ज़ल
from
مِّن
अपने रब का
your Lord
رَّبِّكُمْ
अपने रब का
and that you may know
وَلِتَعْلَمُوا۟
और ताकि तुम जान लो
(the) number
عَدَدَ
गिनती
(of) the years
ٱلسِّنِينَ
सालों की
and the account
وَٱلْحِسَابَۚ
और हिसाब
And every
وَكُلَّ
और हर
thing -
شَىْءٍ
चीज़ को
We have explained it
فَصَّلْنَٰهُ
खोल कर बयान किया हमने उसे
(in) detail
تَفْصِيلًا
खोल कर बयान करना

Waja'alna allayla waalnnahara ayatayni famahawna ayata allayli waja'alna ayata alnnahari mubsiratan litabtaghoo fadlan min rabbikum walita'lamoo 'adada alssineena waalhisaba wakulla shayin fassalnahu tafseelan (al-ʾIsrāʾ 17:12)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

हमने रात और दिन को दो निशानियाँ बनाई है। फिर रात की निशानी को हमने मिटी हुई (प्रकाशहीन) बनाया और दिन की निशानी को हमने प्रकाशमान बनाया, ताकि तुम अपने रब का अनुग्रह (रोज़ी) ढूँढो और ताकि तुम वर्षो की गणना और हिसाब मालूम कर सको, और हर चीज़ को हमने अलग-अलग स्पष्ट कर रखा है

English Sahih:

And We have made the night and day two signs, and We erased the sign of the night and made the sign of the day visible that you may seek bounty from your Lord and may know the number of years and the account [of time]. And everything We have set out in detail. ([17] Al-Isra : 12)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और हमने रात और दिन को (अपनी क़ुदरत की) दो निशानियाँ क़रार दिया फिर हमने रात की निशानी (चाँद) को धुँधला बनाया और दिन की निशानी (सूरज) को रौशन बनाया (कि सब चीज़े दिखाई दें) ताकि तुम लोग अपने परवरदिगार का फज़ल ढूँढते फिरों और ताकि तुम बरसों की गिनती और हिसाब को जानो (बूझों) और हमने हर चीज़ को खूब अच्छी तरह तफसील से बयान कर दिया है