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وَلَا تَمْشِ فِى الْاَرْضِ مَرَحًاۚ اِنَّكَ لَنْ تَخْرِقَ الْاَرْضَ وَلَنْ تَبْلُغَ الْجِبَالَ طُوْلًا  ( الإسراء: ٣٧ )

And (do) not
وَلَا
और ना
walk
تَمْشِ
तुम चलो
in
فِى
ज़मीन में
the earth
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
(with) insolence
مَرَحًاۖ
इतराते हुए
Indeed you
إِنَّكَ
बेशक तुम
will never
لَن
हरगिज़ नहीं
tear
تَخْرِقَ
तुम फाड़ सकते
the earth
ٱلْأَرْضَ
ज़मीन को
and will never
وَلَن
और हरगिज़ नहीं
reach
تَبْلُغَ
तुम पहुँच सकते
the mountains
ٱلْجِبَالَ
पहाड़ों को
(in) height
طُولًا
लम्बाई में

Wala tamshi fee alardi marahan innaka lan takhriqa alarda walan tablugha aljibala toolan (al-ʾIsrāʾ 17:37)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और धरती में अकड़कर न चलो, न तो तुम धरती को फाड़ सकते हो और न लम्बे होकर पहाड़ो को पहुँच सकते हो

English Sahih:

And do not walk upon the earth exultantly. Indeed, you will never tear the earth [apart], and you will never reach the mountains in height. ([17] Al-Isra : 37)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और (देखो) ज़मीन पर अकड़ कर न चला करो क्योंकि तू (अपने इस धमाके की चाल से) न तो ज़मीन को हरगिज़ फाड़ डालेगा और न (तनकर चलने से) हरगिज़ लम्बाई में पहाड़ों के बराबर पहुँच सकेगा