قُلِ اللّٰهُ اَعْلَمُ بِمَا لَبِثُوْا ۚ لَهٗ غَيْبُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ اَبْصِرْ بِهٖ وَاَسْمِعْۗ مَا لَهُمْ مِّنْ دُوْنِهٖ مِنْ وَّلِيٍّۗ وَلَا يُشْرِكُ فِيْ حُكْمِهٖٓ اَحَدًا ( الكهف: ٢٦ )
Quli Allahu a'lamu bima labithoo lahu ghaybu alssamawati waalardi absir bihi waasmi' ma lahum min doonihi min waliyyin wala yushriku fee hukmihi ahadan (al-Kahf 18:26)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कह दो, 'अल्लाह भली-भाँति जानता है जितना वे ठहरे।' आकाशों और धरती की छिपी बात का सम्बन्ध उसी से है। वह क्या ही देखनेवाला और सुननेवाला है! उससे इतर न तो उनका कोई संरक्षक है और न वह अपने प्रभुत्व और सत्ता में किसी को साझीदार बनाता है
English Sahih:
Say, "Allah is most knowing of how long they remained. He has [knowledge of] the unseen [aspects] of the heavens and the earth. How Seeing is He and how Hearing! They have not besides Him any protector, and He shares not His legislation with anyone." ([18] Al-Kahf : 26)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ रसूल) अगर वह लोग इस पर भी न मानें तो तुम कह दो कि ख़ुदा उनके ठहरने की मुद्दत से बखूबी वाक़िफ है सारे आसमान और ज़मीन का ग़ैब उसी के वास्ते ख़ास है (अल्लाह हो अकबर) वो कैसा देखने वाला क्या ही सुनने वाला है उसके सिवा उन लोगों का कोई सरपरस्त नहीं और वह अपने हुक्म में किसी को अपना दख़ील (शरीक) नहीं बनाता