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حَتّٰىٓ اِذَا بَلَغَ مَغْرِبَ الشَّمْسِ وَجَدَهَا تَغْرُبُ فِيْ عَيْنٍ حَمِئَةٍ وَّوَجَدَ عِنْدَهَا قَوْمًا ەۗ قُلْنَا يٰذَا الْقَرْنَيْنِ اِمَّآ اَنْ تُعَذِّبَ وَاِمَّآ اَنْ تَتَّخِذَ فِيْهِمْ حُسْنًا  ( الكهف: ٨٦ )

Until
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
when
إِذَا
जब
he reached
بَلَغَ
वो पहुँच गया
(the) setting place
مَغْرِبَ
ग़ुरूब होने की जगह
(of) the sun
ٱلشَّمْسِ
सूरज के
he found it
وَجَدَهَا
उसने पाया उसे
setting
تَغْرُبُ
वो ग़ुरूब हो रहा है
in
فِى
एक चश्मे में
a spring
عَيْنٍ
एक चश्मे में
(of) dark mud
حَمِئَةٍ
स्याह कीचड़ वाले
and he found
وَوَجَدَ
और उसने पाया
near it
عِندَهَا
पास उसके
a community
قَوْمًاۗ
एक क़ौम को
We said
قُلْنَا
कहा हमने
"O Dhul-qarnain!
يَٰذَا
ऐ ज़ुलक़रनैन
"O Dhul-qarnain!
ٱلْقَرْنَيْنِ
ऐ ज़ुलक़रनैन
Either
إِمَّآ
ख़्वाह
[that]
أَن
ये कि
you punish
تُعَذِّبَ
तू सज़ा दे
or
وَإِمَّآ
और ख़्वाह
[that]
أَن
ये कि
you take
تَتَّخِذَ
तू इख़्तियार करे
[in] them
فِيهِمْ
उनके मामले में
(with) goodness"
حُسْنًا
भलाई

Hatta itha balagha maghriba alshshamsi wajadaha taghrubu fee 'aynin hamiatin wawajada 'indaha qawman qulna ya tha alqarnayni imma an tu'aththiba waimma an tattakhitha feehim husnan (al-Kahf 18:86)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

यहाँ तक कि जब वह सूर्यास्त-स्थल तक पहुँचा तो उसे मटमैले काले पानी के एक स्रोत में डूबते हुए पाया और उसके निकट उसे एक क़ौम मिली। हमने कहा, 'ऐ ज़ुलक़रनैन! तुझे अधिकार है कि चाहे तकलीफ़ पहुँचाए और चाहे उनके साथ अच्छा व्यवहार करे।'

English Sahih:

Until, when he reached the setting of the sun [i.e., the west], he found it [as if] setting in a body of dark water, and he found near it a people. We [i.e., Allah] said, "O Dhul-Qarnayn, either you punish [them] or else adopt among them [a way of] goodness." ([18] Al-Kahf : 86)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

यहाँ तक कि जब (चलते-चलते) आफताब के ग़ुरूब होने की जगह पहुँचा तो आफताब उनको ऐसा दिखाई दिया कि (गोया) वह काली कीचड़ के चश्में में डूब रहा है और उसी चश्में के क़रीब एक क़ौम को भी आबाद पाया हमने कहा ऐ जुलकरनैन (तुमको एख्तियार है) ख्वाह इनके कुफ्र की वजह से इनकी सज़ा करो (कि ईमान लाए) या इनके साथ हुस्ने सुलूक का शेवा एख्तियार करो (कि खुद ईमान क़ुबूल करें)